कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि हिंदुत्व और हिंदू धर्म दो अलग-अलग अवधारणाएं हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘क्या हिंदू धर्म सिख या मुसलमान को पीटना है? हिंदुत्व, निश्चित रूप से है। यह किस किताब में लिखा है? मैंने तो इसे नहीं देखा है। मैंने उपनिषद् पढ़े हैं। मैंने ये तो नहीं पढ़ा है।’’
नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भारत में नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है।
उनकी इस टिप्पणी पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कांग्रेस नेतृत्व पर हिंदू मत के खिलाफ घृणा को पोषित करने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा जीवंत है और वह भाजपा-आरएसएस की विचारधारा का मुकाबला करेगी। उन्होंने संगठन के भीतर अपनी पार्टी के विचारों को मजबूत करने और उनका पूरे देश में प्रसार करने पर जोर दिया। वह वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में आयोजित चार दिवसीय ‘एआईसीसी ओरिएंटेशन कार्यक्रम’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में प्रदेश भर से कांग्रेस के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उनकी टिप्पणी अयोध्या पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की किताब को लेकर छिड़े विवाद के बीच आई है। खुर्शीद द्वारा अपनी नयी पुस्तक में कथित तौर पर हिंदुत्व की तुलना आतंकवादी समूहों बोको हरम और आईएसआईएस के जिहादी इस्लाम से करने को लेकर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करना होगा कि भारत में दो विचारधाराएं हैं- कांग्रेस की विचारधारा और आरएसएस की विचारधारा। हमें स्वीकार करना होगा कि भाजपा-आरएसएस ने आज के भारत में नफरत फैलाई है।’’
गांधी ने पूछा, ‘‘हम कहते हैं कि हिंदुत्व और हिंदू धर्म में अंतर है। यह एक सरल तर्क है – अगर आप हिंदू हैं तो आपको हिंदुत्व की आवश्यकता क्यों है? आपको इस नए नाम की आवश्यकता क्यों है ?’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘ये जो हमारी विचारधारा है, वो पुरानी है। जिस शक्ति को हम शिव कहते हैं, वो इसके एक प्रतीक हैं। कबीर, गुरु नानक, महात्मा गांधी, बहुत सारे लोगों ने इस विचारधारा को अपनाया और फैलाया। उनके (भाजपा) भी आदर्श हैं, हमारे भी आदर्श हैं। उनके आदर्श सावरकर, हमारे आदर्श महात्मा गांधी हैं।’’
राहुल गांधी ने यह स्वीकार किया कि कांग्रेस ने अतीत में अपने विचारों का ठीक से प्रचार -प्रसार नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह समय, कांग्रेस की विचारधारा को अपने संगठन में मजबूत करने और पार्टी कार्यकर्ताओं के माध्यम से पूरे भारत में फैलाने का है।’’ कांग्रेस सांसद ने वैचारिक प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए। गांधी ने कहा, ‘‘पार्टी की विचारधारा का प्रचार करने का केंद्रीय तरीका लोगों को इस बारे में बातचीत से प्रशिक्षित करना है कि कांग्रेस का सदस्य होने का क्या मतलब है और यह आरएसएस का व्यक्ति होने से कैसे अलग है।’’