सम्पूर्ण बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ महाशिवरात्रि पर करें

Prashan Paheli

महाशिवरात्रि का पर्व शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्रों (बेलपत्रों )से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं। भगवान भोलेनाथ का बिल्वपत्रों से शृंगार करते समय बिल्वाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

यहां पढ़िए सम्पूर्ण बिल्वाष्टकम् स्तोत्र।

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् त्रिजन्मपाप संहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ अखण्ड बिल्व पात्रेण पूजिते नन्दिकेश्र्वरे शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यो एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु चार्पयेत् सोमयज्ञ महापुण्यं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेय शतानि च कोटि कन्या महादानं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ लक्ष्म्या स्तनुत उत्पन्नं महादेवस्य च प्रियम् बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम् प्रयागमाधवं दृष्ट्वा एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥ मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे अग्रतः शिवरूपाय एक बिल्वं शिवार्पणम् ॥

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