देहरादून: दस हजार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए उत्तराखंड पुलिस के सिपाही को विजिलेंस कोर्ट ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई है। विजिलेंस कोर्ट की जज ने दोषी पर अलग-अलग धाराओं में कुल 70 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। ट्रैप किए जाते समय आरोपी एसटीएफ देहरादून कार्यालय में तैनात था।
अभियोजन अधिकारी अनुज कुमार साहनी ने बताया कि एक मार्च 2008 को गायत्री विहार हरिद्वार निवासी वरुण अग्रवाल ने विजिलेंस को शिकायत दी। कहा कि वह पार्टनरशिप में रेत बजरी का काम करते हैं। कभी-कभी सीमेंट की सप्लाई भी करते हैं। शिकायत में कहा कि सिपाही नागेश पाल उन्हें फोन कर दस हजार रुपये रिश्वत मांग रहा है। धमकी दे रहा है कि रिश्वत नहीं देने पर उन्हें राज्य में कहीं भी किसी भी केस में फंसा देगा।
शिकायत पर विजिलेंस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी सिपाही नागेश पाल मूल निवासी सिरसिली थाना विनौली जिला बागपत को चार मार्च 2008 को हरिद्वार के सप्तसरोवर रोड स्थित वैष्णो देवी के मंदिर के सामने पीड़ित से दस हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। विजिलेंस ने जांच के बाद कोर्ट में चार्जशीट फाइल की। साक्ष्य और गवाह के आधार पर कोर्ट ने आरोपी नागेश पाल को मंगलवार को सजा सुनाई।
विजिलेंस कोर्ट में यह मामला करीब 15 साल तक चला। 15 साल की लंबी कार्रवाई के बाद कोर्ट आरोपी की सजा तय कर पाया। इस बीच आरोपी अपनी नौकरी करता रहा। विजिलेंस से ट्रैप होने के बाद जमानत पर छूटने के बाद वह नौकरी के लिए बाहल हो गया था। सोमवार को दोषी करार होने पर वापस जेल भेजा गया था।