मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं से संबंधित अपराधों में पुलिस जांच त्वरित और समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित की जाए। ऐसे मामलों की विवेचना में किसी प्रकार की कमी न रहने पाए। साथ ही न्यायालयों में भी प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की जाए। ताकि अपराधी किसी दशा में बचने न पाएं। प्रदेश में ऐसा माहौल बने कि कोई भी अपराध करने की सोच भी न पाएं। शिकायतकर्ता महिलाओं से भी समय-समय पर फीडबैक लिया जाए। महिला अपराधों से संबंधित मामलों की जनपदों में जिलाधिकारी स्तर पर लगातार समीक्षा की जाए। विवेचना और पैरवी में कमी पाए जाने पर तत्काल उन कमियों को दूर करने के प्रयास किये जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों के प्रति अपराधों को रोकने के लिए जन सहभागिता भी जरूरी है। इस संबंध में महिलाओं एवं बच्चों से जुड़े संगठनों से भी नियमित सम्पर्क रखा जाए। सिस्टम इस प्रकार का हो कि महिलाओं का इसके प्रति विश्वास बढ़े और वे अपनी शिकायतें बिना संकोच के दर्ज करा सकें। बैठक में बताया गया कि प्रदेश में गौरा शक्ति योजना के तहत थाना स्तर पर महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई है। जनपद व राज्य स्तर पर महिला कांउन्सिल सेल गठित किया गया है। प्रत्येक थाने में एक महिला उपनिरीक्षक तथा चार महिला कांस्टेबल की तैनाती की गई है। साथ ही महिला अपराधों की विवेचना महिला अधिकारी द्वारा किये जाने की व्यवस्था है।
प्रदेश में बाल अपराधों पर नियन्त्रण हेतु प्रत्येक जनपद में विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी प्रत्येक जनपद में बाल मित्र थाने की स्थापना तथा पॉक्सो के पर्यवेक्षण हेतु स्पेशल टास्क फोर्स गठित की गई है। आपरेशन मुक्ति के तहत 2017 से अब तक प्रदेश में 7670 बच्चों का सत्यापन तथा 3603 बच्चों का विद्यालयों में दाखिला किया गया है। जबकि आपरेशन स्माइल के तहत 2015 से 2021 के मध्य गुमशुदा 2221 बच्चे तथा 604 महिलायें बरामद की गई।