नारी शक्ति वंदन विधेयक कल्याण के लिए प्रतिबद्धः निशंक

Prashan Paheli

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री एवं हरिद्वार के सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने  लोकसभा में प्रस्तुत महिला आरक्षण बिल को ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए इसका  स्वागत किया। ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार ने लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए मंगलवार को संसद में श्नारी शक्ति वंदन विधेयकश् पेश किया। इस बिल के जरिए सरकार ने लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि करते हुए कहा है कि भारतीय महिलाओं के प्रति समर्पण और सम्मान  के एक नए प्रतीक के रूप में,  भारतीय संसद ने महिला आरक्षण बिल को गणेश चतुर्थी के दिन 19 सितंबर को नए संसद भवन में सरकार ने दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर महिला आरक्षण बिल पेश किया जाना भारतीय इतिहास का गौरवमयी पल है । उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह बिल देश के यशवस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार की  महिला सशक्तिकरण और कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है। ।  लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी।
डॉ निशंक ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम हमारे समाज की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के रूप में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान को पहचानने और उन्हें सम्मानित करने का  प्रतीक है। उन्होंने बताया कि  हमारी महिलाएं देश के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, चाहे वो शिक्षा, विज्ञान, अनुसंधान, प्रशासन, या राजनीति हो। उनकी साक्षरता, समर्पण, और साहस के साथ वे देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान कर रही हैं। महिला आरक्षण बिल के पारित होने से, हम आगे बढ़कर उन महिलाओं को समर्थन और मौके प्रदान करने का संकल्प लेते हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए उत्कृष्टता की ओर बढ़ रही हैं। डॉ निशंक ने भरोसा जताया कि  किया कि यह बिल हमारे देश की महिलाओं को उनके योग्यता और सामर्थ्य के आधार पर सशक्त बनाएगा और समाज को एक नई दिशा में ले जाने में मदद करेगा। डॉ निशंक ने कहा आज हम सभी महिलाओं को नमन करते हैंजिन्होंने हमारे देश को गर्वित किया है। महिला आरक्षण बिल का पारित होना हमारे समृद्धि की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है और हम इसके फलस्वरूप हमारे भारतीय समाज के साथ साथ दुनिया के समक्ष भी गर्व के साथ खड़े होते हैं।

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