देहरादून: विधानसभा सत्र में पारित हुए जबरन धर्मांतरण के विधेयक को पुराने मामलों को सुलझाने में भी इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने इस विधेयक में साधुओं के समर्थन पर आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री धामी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान धर्मांतरण रोकने के लिए लाए गए विधेयक का समर्थन करने पर साधु व संतों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य धर्म, संस्कृति व अध्यात्म की भूमि है। यहां जबरन व प्रलोभन से धर्मांतरण बहुत गंभीर हो गया था। राज्य में धर्मांतरण व मतांतरण आपराधिक रूप से आगे बढ़ रहा था। इसलिए सरकार ने तय किया कि कड़ा कानून बनाएंगे।
कम पढ़े-लिखे लोगों के बीच, आदिवासी व अनुसूचित जाति व सीमांत क्षेत्रों में धर्मांतरण हो रहा था। यह बहुत बड़ा अपराध है। इसलिए हमने तय किया कि कड़ा कानून बनाएंगे। इसमें जो भी शामिल होगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करेंगे। पूर्व में जो भी मामले हुए होंगे उन सभी की पूरी रिपोर्ट लेकर नए कानून के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
विपक्ष के आरोपों पर लगाया ताला
शीतकालीन सत्र कम चलाने और सवालों के जवाब से बचने के विपक्ष के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने हर प्रश्न का जवाब दिया। जितना काम था, उसे पूरा किया गया। सत्र आम जनता के पैसे से चलता है। इसलिए जितना जरूरी था उतना सत्र चला।
समान नागरिक संहिता लाने की कही बात
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रदेश में समान नागरिक संहिता का कानून लागू होगा। इसके लिए विशेषज्ञ समिति काम कर रही है। सबके विचार ले रही है। जल्द ही एक बड़ा जनसंवाद कार्यक्रम भी होगा। कहा कि समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद एक प्रकार की सरलता आएगी। सभी के लिए एक समान कानून बन जाएगा। न्यायालयों में विचाराधीन विवादित मामलों में स्वत: ही निर्णय हो जाएगा।
साथ ही उन्होंने अधिकारियों को ग्राम सभाओं में चौपाल लगाने और रात्रि प्रवास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र पंचायत समिति की बैठकों में जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल होंगे। मुख्यमंत्री के मुताबिक, चिंतन शिविर में निर्देश दिए गए कि सरकार स्वत: चलनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मुख्यमंत्री या मंत्री या विधायक के जाने या बहुउद्देश्यीय शिविर लगाने पर ही लोगों के आय, विकलांग या अन्य प्रमाण पत्र बनाए जाएं। सरकारी तंत्र को अपने आप काम करना चाहिए।