नयी दिल्लंी। वैसे तो नवरात्रि का मौका चल रहा है। इसके साथ ही पाक महीना रमजान भी चल रहा है। पर्व-त्यौहार के इस मौके पर मीट को लेकर विवाद छिड़ता दिखाई दे रहा है। पहले मीट का विवाद कर्नाटक में हुआ। उसके बाद यह मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद पहुंचा और अब दक्षिण दिल्ली तक आ चुका है। दरअसल, दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने अपने क्षेत्र में मीट की दुकानें नवरात्रि तक बंद करा दी है। इसको लेकर अव विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में महुआ मोइत्रा ने साफ तौर पर लिखा, श्मैं दक्षिण दिल्ली में रहती हूं। संविधान मुझे अनुमति देता है कि मैं जब चाहूं मीट खा सकती हूं और दुकानदार अपना व्यापार आजादी से कर सकता है। पूर्ण विराम।श्
आपको बता दें कि दक्षिण दिल्ली में मेयर सुकेश आर्यन के आदेश के बाद मीट की दुकानें बंद कर दी गई हैं। इसको लेकर अब दुकानदारों में नाराजगी है। दरअसल, दक्षिण दिल्ली के मेयर ने कमिश्नर को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि 11 अप्रैल तक नवरात्रि है। इस दौरान लोग मां दुर्गा की उपासना करते हैं और मंदिर जाते हैं। इन दिनों लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। कुछ लोग तो लहसुन-प्याज का भी इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने आगे लिखा कि मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन वर्जित रहता है। यही कारण है कि खुले में मीट बिकने से श्रद्धालु खुद को असहज महसूस कर रहे हैं और उनके धार्मिक भावनाओं और आस्था पर फर्क भी पड़ रहा है। इसके बाद से उन्होंने आगे बताया कि हमने फैसला लिया है कि दक्षिण एमसीडी में कोई भी मांस की दुकान नहीं खुलेगी।
वहीं पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने भी नवरात्रि के आखिरी 3 दिनों यानी की सप्तमी, अष्टमी और महानवमी को मीट की दुकान को बंद करने का आदेश किया है। पूर्वी दिल्ली में 9, 10 और 11 अप्रैल को मीट की दुकानें बंद रहेंगे। इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। अपने ट्वीट में ओवैसी ने लिखा था कि मोदी बड़े उद्योगपतियों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और वैचारिक गुर्गों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस चाहते हैं। आय के नुकसान की भरपाई कौन करेगा? मांस अशुद्ध नहीं है, यह सिर्फ लहसुन या प्याज जैसा भोजन है। सिर्फ 99ः नहीं। 100ः लोगों के पास मांस नहीं खरीदने का विकल्प है यदि वे नहीं चाहते हैं।