देहरादून। गुटबाजी के आरोप से आहत कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा चुनाव में पार्टी गुटबाजी के कारण हारी है तो केंद्रीय नेतृत्व इसकी जांच कराए। जांच में यदि मैं दोषी पाया जाता हूं तो मुझे विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रीतम सिंह ने कहा मेरे पास विकल्प है। चकराता की जनता ने मुझे चुनकर भेजा है। मैं उनके विधायक के रूप में काम कर रहा हूं। सोमवार को विधायक प्रीतम ने यह बयान दिया।
कांग्रेस हाईकमान ने गत दिवस करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष, यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष व भुवन कापड़ी को उप नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया। ये तीनों महत्वपूर्ण पद कुमांऊ को दिए गए हैं, गढ़वाल से किसी को कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया है। इससे कांग्रेस में घमासान शुरु हो गया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष व चकराता विधायक प्रीतम सिंह अपने पर विधानसभा चुनाव में गुटबाजी का आरोप लगाए जाने से खासा नाराज हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस के कद्दावर नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह के बीच हुई मुलाकात से ठीक पहले कांग्रेस आला कमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता और उपनेता प्रति पक्ष के नामों का ऐलान किया था। जिस आशंका के चलते कांग्रेस आला कमान एक माह से फैसला लेने में टालमटोल कर रहा था, वह सामने आते ही सच साबित हुई। प्रीतम सिंह का खेमा यशपाल आर्य, भुवन कापड़ी, करण माहरा को तवज्जो देने से ही भड़क उठा। कई लोगों के इस्तीफों ने प्रीतम खेेमे की नाराजगी पर मुहर भी लगा दी। इसके ठीक बाद अप्रत्याशित रूप से प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात करके कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया। हालांकि इस मुलाकात के बारे में प्रीतम और मुख्यमंत्री दोनों के करीबी लोगों का कहना है कि चर्चा राज्य के विकास और बेहतरी को लेकर हुई। लेकिन मुलाकात जिस हालात में हुई उसको लेकर सियासी पंडितों का मानना है कि पार्टी में अपनी रुसवाई से क्षुब्ध प्रीतम अपने और अपनों के लिए सियासी विकल्प तलाश रहे हैं।