आज मनाई जायेगी गोस्वामी तुलसीदास जयंती

Prashan Paheli

धर्म-संस्कृतिः सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है. इस साल तुलसीदास जयंती 23 अगस्त है. तुलसीदास जी ने हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस, हनुमान चालीसा समेत तमाम ग्रंथों की रचना की और अपना पूरा जीवन श्रीराम की भक्ति और साधना में व्यतीत किया. हनुमान चालीसा जो सबसे अधिक पढ़े जानें वाली रचना है, उसके पीछे एक बहुत रोचक कहानी भी है. तो चलिए जानते हैं विश्व प्रसिद्ध हनुमान चालीसा की रचना तुलसीदास ने कैसे की थी.

तुलसीदास का जन्म 1532 उत्तरप्रदेश के राजापुर गांव में हुआ था. तुलसीदास ने अपना अधिकांश जीवन वाराणसी शहर में बिताया. वाराणसी में गंगा नदी पर प्रसिद्ध तुलसी घाट का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है. वह भगवान राम और हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे. तुलसीदास की आध्यात्मिक यात्रा तब शुरू हुई, जब उन्होंने वराह क्षेत्र में राम मानस के बारे में सुना. इसके बाद वह साधु बन गए और रामचरितमानस जैसा महाकाव्य लिखा.

कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली थी. मान्यता है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया. तब तुलसीदास की मुलाकात अकबर से हुई और उसने अपनी तरीफ में उन्हें ग्रंथ लिखने को कहा. लेकिन तुलसीदास ने ग्रंथ लिखने से मना कर दिया. तभी अकबर ने उन्हें कैद कर लिया और कारागार में डाल दिया. जब तुलसीदास ने सोचा की उन्हें इस संकट से केवल संकटमोचन ही बाहर निकाल सकते हैं. तब 40 दिन कैद में रहने के दौरान तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की और उसका पाठ किया. 40 दिन के बाद बंदरों के एक झुंड ने अकबर के महल पर हमला कर दिया, जिसमें बड़ा नुकसान किया. तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास को कारागार से मुक्त कर दिया. ऐसी मान्याता है कि जब पहली बार तुलसीदास ने इसका वाचन किया तो सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना. प्रचलित कथा के अनुसार, जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया, तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे. लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा. वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे.

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