उत्तराखंड में क्वालिटी एजुकेशन पर होगा काम : डॉ. धन सिंह रावत
देहरादून: दो दिवसीय राज्य स्तरीय चिंतन शिविर के अंतिम दिन आज विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में क्वालिटी एजुकेशन पर काम करने को कहा। इसके साथ उन्होंने कहा कि सभी निजी व सरकारी शिक्षण संस्थानों को गुणवत्तापरक शिक्षा के लिये मार्च 2023 तक अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराना होगा। इसके अलावा रोजगारपरक शिक्षा, नवाचार और रैंकिंग को लेकर भी शिक्षण संस्थानों में काम करना होगा।
उच्च शिक्षा विभाग की ओर से हुए इस राज्य स्तरीय चिंतन शिविर में विभागीय मंत्री डा. रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक सूबे में 25 मॉडल कॉलेज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, परीक्षा एवं छात्र संघ चुनाव की तिथियों में एकरूपता सुनिश्चित की जायेगी। इसके अलावा शैक्षिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, रोवर रेंजर, एनएसएस एवं एनसीसी सहित गैप एनालिसिस के लिये समितियों का गठन किया जायेगा। चिंतन शिविर में उच्च शिक्षा के उन्नयन के लिये प्राचार्यों ने अपने सुझाव भी रखे।
उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिये प्रदेश के सभी निजी एवं राजकीय उच्च शिक्षण संस्थानों को मार्च 2023 तक अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराना होगा। उन्होंने कहा कि नैक मूल्यांकन कराने से पहले राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) बेंगलुरू के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नैक प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जायेगी ताकि नैक एक्रिडिएशन कराने में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को सहूलियत हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक सूबे में 25 मॉडल कॉलेज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उच्च शिक्षण संस्थानों में रोजगारपरक शिक्षा, नवाचार एवं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन के लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने विभागीय अधिकारियों को पांच टारगेट पर फोकस करने को कहा। इसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, परीक्षा, परीक्षाफल, दीक्षांत समारोह एवं छात्र संघ चुनावों की तिथियों में एकरूपता लाई जाये। साथ ही विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह एक माह तथा छात्र संघ चुनावों को एक सप्ताह के भीतर कराया जाय। उच्च शिक्षण संस्थानों में 180 दिन अनिवार्य रूप से पठन-पाठन सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिये। इसके अलावा उन्होंने चिंतन शिविर में शैक्षिक कैलेंडर, परीक्षा कैलेंडर, रोवर रेंजर, एनएसएस एवं एनसीसी सहित गैप एनालिसिस के लिये समितियों के गठन के निर्देश भी दिये।
मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि विज्ञान विषयों की फैकल्टियों को शीघ्र ही राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान बंगलुरू में प्रशिक्षण के लिये भेजा जायेगा जबकि राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को मैनेजमेंट ट्रेनिंग के लिये दो चरणों में आईआईएम काशीपुर में भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक वर्ष अंतर विश्वविद्यालय खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं की जायेंगी ताकि छात्र-छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में शामिल होने का मौका मिल सके। इसके अलावा एक भारत-श्रेष्ठ भारत योजना के तहत राज्य के छात्र-छात्राओं के देश के दूसरे राज्यों में शैक्षिक भ्रमण पर भेजा जायेगा।
चिंतन शिविर में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों ने उच्च शिक्षा के उन्नयन को लेकर अपने-अपने सुझाव रखे। उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-ग्रंथालय के उपयोग, एनईपी के तहत कौशल विकास, क्वालिटी रिसर्च और छात्र-छात्रओं एवं शिक्षकों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला।
उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. जगदीश प्रसाद एवं कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने दूरस्त क्षेत्रों में मॉडल कॉलज बनाने, सोशल सर्विसेज पर अपना मत रखा। संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा प्रो. ए.एस. उनियाल ने चिंतन शिविर में आये सभी अतिथियों एवं शिक्षाविदों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. दीपक पाण्डेय ने किया। चिंतन शिविर में विभागीय मंत्री ने डॉ.दीपक कुमार की पुस्तक डिजास्टर मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स एंड प्रक्टिस का भी विमोचन किया।
चिंतन शिविर में डीआईटी विवि के चैयरमैन अनुज अग्रवाल, रूसा सलाहकार प्रो. एम.एस.एम. रावत, प्रो.के.डी. पुरोहित, अपर सचिव सचिव प्रशांत आर्य, एम.एम.सेमवाल, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के डॉ.निलेश पाण्डेय, डॉ. बी पोंमुदिराज, डॉ विष्णुमहेश समस्त निजी व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, चेयरमैन, कुलसचिव, निदेशक व समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, नोडल नैक एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।