हल्द्वानी हिंसा का दोषी कौन?

Prashan Paheli

अजय दीक्षित
गत वृहस्पतिवार 8 फरवरी को तथाकथित एक अवैध मदरसे को तोडऩे के बाद जिस पैमाने पर हल्द्वानी में हिंसा हुई, वह बहुत चिंता का विषय है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बुलडोजर मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है । हल्द्वानी नैनीताल जिले का हिस्सा है । नैनीताल पहाड़ी इलाक़ा है, पर हल्द्वानी मैदानी इलाका है । सन् 1947 के भारत विभाजन के बाद बड़े पैमाने पर सिख यहां आकर बस गये । वहां उनके बहुत बड़े फॉर्म हैं । इन फार्मों में अब तो ज्यादातर काम मशीनों से होता है, पर कुछ समय पहले तक सब काम ‘मैन्युअल” था अर्थात, आदमी काम करते थे । हल्द्वानी में मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा नहीं है । इनका यहां कोई पुस्तैनी धंधा भी नहीं है । जब पीतल के बर्तन इस्तेमाल होते थे, तो कुछ मुसलमान कलई करने का काम करते थे । यहां के कुछ मुसलमान चूड़ी पहनाने का काम करते थे । अब भी कुछ करते होंगे । हिन्दू स्त्रियां इन्हीं से चूड़ी पहनती थी । अच्छा भाईचारा था । बड़ी उम्र की हिन्दू महिलाओं को ये चूड़ीदार खाला कहकर आदर देते हैं । अन्य कम उम्र की हिन्दू महिलाओं के लिए ‘बहना’ या अन्य आदर सूचक शब्दों का प्रयोग करते थे या हैं । कम उम्र की लड़कियां जब इनसे चूड़ी पहनती हैं तो उन्हें ‘चाचा जान’ कहती थी । अब भी कहती होंगी।

लखनऊ या देहरादून में बैठे राजनैतिक आका (उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के चयनित मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री गण) शायद इस भाईचारे को जानते नहीं । प्रशासनिक अधिकारियों की मजबूरी है कि उन्हें ऊपर से प्राप्त आदेश का पालन करना होता है । टी.वी.में दिखलाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इन दंगाइयों को गोली मारने के आदेश दिये हैं । हल्द्वानी उत्तराखण्ड में है । शायद वहां के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही आदेश दे दिया होगा ।

असल में हल्द्वानी बरेली और मुरादाबाद से सटा हुआ है । अवैध निर्माण को तोडऩा है या हटाना पूरी तरह से जायज है । नैनीताल की महिला डीएम ने कहा है कि यह मदरसा कोर्ट के आदेश से तोड़ा गया है । अच्छा होता कि मुस्लिम नेताओं को विश्वास में लेकर यह कार्य भाई की जानी चाहिये थी। फिर बृहस्पतिवार का दिन ठीक नहीं था । शुक्रवार को जुम्मे की नमाज होती है यहां उस क्षेत्र के सभी इस्लाम धर्मी इक्कठा  होते हैं । यह आशंका बनी रहती है कि कुछ सिरफिरे आम मुसलमान को भडक़ा दें ।

आम आदमी (चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो) आज बेरोजगारी, महंगाई और कपट से जूझ रहा है । युवाओं को कोई रोजगार नहीं है । यूं भी मुस्लिम युवाओं का भविष्य अंधकार में है । जिस तरह से देश में आजकल रामराज्य की बात चल रही है, उससे अल्पसंख्यक भयभीत है । नारा है अभी तो अयोध्या है काशी और मथुरा बाकी है । हम चाहते हैं कि देश में भाईचारा बना रहे । अमन चैन रहे । अभी भी हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री पहल करें और सभी अल्पसंख्यक धर्मावलम्बी को विश्वास दिलाएं कि सरकारों की नजऱ में सभी बराबर हैं और यह देश हिन्दू राष्ट्र नहीं है । यह भारत का राष्ट्र है और हम सभी पहले भारतीय हैं । फिर किसी और धर्म सम्प्रदाय के अनुयायी । दैनिक अजय भारत की ओर से अजय दीक्षित प्रधान संपादक सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं ।

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