सीएम ने दिया था आश्वासन, ठंड से पहले मिल जाएगा आशियाना
देहरादून: मुनस्यारी व धारचूला विकास खंड के आपदा प्रभावितो को न ठौर मिला न ठिकाना इस ठंड में जाये तो जाएं कहाँ? कड़ाके की ठंड होने पर भी न छत मिली है और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था। सरकार कितनी संवेदन शील है अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है!
सिस्टम से नाराज जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने राज्य के मुख्य सचिव को ईमेल से पत्र भेजा। कहा कि वे पुत्र वियोग से उभरे नहीं है, इस कारण इन प्रभावितो की आवाज भी नहीं बन पा रहे है।
जिला पंचायत सदस्य ने बताया कि आपदाकाल में प्रदेश के सीएम त्रिवेंन्द्र सिंह रावत ने यह आश्वासन दिया था कि. आपदा प्रभावितो को ठंड शुरु होने से पहले कम से कम अस्थाई ठौर ठिकाना मिल जायेगा।
लेकिन आज तक प्रभावितों के लिए कोई व्यबस्था नही हो पाई है, इन दोनो क्षेत्र में इतनी ठंड हो रही है कि नल का पानी जम कर बर्फ बन रहा है। ऐसे समय में आपदा प्रभावित टैंट, सरकारी भवन व क्षतिग्रस्त भवनो में ठंड से कांप रहे है। बच्चो व बुर्जूगो को निमोनिया जैसी घातक बीमारी हो रही है।
मर्तोलिया ने कहा कि सरकार को दीपावली तक इनकी समुचित व्यवस्था करने का अल्टीमेटम दिया गया था,लेकिन आठ नवम्बर को उनके पुत्र की दर्दनाक मौत हो जाने के कारण वे इनकी आवाज भी नहीं ऊठा पा रहे है। मर्तोलिया ने कहा कि सरकार की आदत हो गई है, जब तक जनता आवाज बुलंद नहीं करती है, तब तक वह सोयी रहती है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस तरह की असंवेदनशील सरकार भी सुशासन दिवस मनाती है।
जिपं सदस्य मर्तोलिया ने क्षेत्र के आपदा प्रभावितो को क्षमा मांगते हुए कहा कि वे मजबूर है। कहा कि इस बार की आपदा केदारनाथ त्रासदी से कम नहीं थी, उसके बाद भी आपदा प्रभावितो को छत तक नसीब नहीं हुई है। मर्तोलिया ने कहा कि इस साल की आपदा से क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग, पैदल मार्ग,पुलिया, पेयजल योजनाओ, सिचांई नहर के अलावा आपदा से खतरे में आ चूके घरो की सुरक्षा के लिए चैकडाम निर्माण व पुर्नानिर्माण के लिए बजट भी अभी तक तीन माह बीत जाने के बाद भी नहीं मिला है। आज भी आपदा से पैदा हुई समस्या बजट के अभाव में जस के तस है। उन्होंने कहा कि सरकार अपना कर्तव्य नहीं निभाती है तो फिर हमें न चाहते हुए सड़को पर उतरना पडेगा।