हाइड्रो पावस पॉलिसी के साथ कैबिनेट बैठक में लिए कई बड़े फैसलें

Prashan Paheli
देहरादून: राज्य सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के सभागार में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक संपन्न हुई। बैठक में कुल 20 प्रस्ताव आए। इस दौरान हिमाचल की भांति उत्तराखंड की नई हाइड्रो पावर पॉलिसी पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। हाइड्रो पॉलिसी के तहत कमीशनिंग के साथ ही प्रोजेक्ट की शुरुआत हो जाएगी। सचिव शैलेश बगोली ने कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सचिवालय प्रशासन में 90 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाने का निर्णय लिया गया। तय हुआ कि प्रदेश में अब पैरोल की अनुमति डीएम से ही मिल सकेगी, इसकी अनुमति पहले कमिश्नर के स्तर से ही मिलती थी। इसकी नियमावली में संशोधन कर अधिकतम 12 माह की पैरोल की व्यवस्था की जाएगी। पीडब्ल्यूडी के ढांचे के पुनर्गठन के साथ ही सिडकुल की 5 सड़कों को पीडब्ल्यूडी को स्थानांतरित करने का निर्णय हुआ। वहीं, उत्तराखंड में पार्किंग पॉलिसी पर भी कैबिनेट की मुहर लग गई। -:कैबिनेट बैठक में ये फैसले भी लिए गए – प्रदेश में 91 आईटीआई में 10 हजार युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनमें से 20 संस्थानों को कर्नाटक मॉडल पर उच्चीकृत किया जाएगा। – परिवहन- सिटी बस में मोटरयान कर में शत प्रतिशत छूट दी जाएगी। – पहाड़ में बसों को परमिट टैक्स में राहत 50 से बढ़ाकर 75% की गई। – परिवहन विभाग की प्रवर्तन कर्मचारी सेवा नियमावली में संशोधन होगा। शत प्रतिशत प्रवर्तन सिपाही के पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। – राज्य पार्किंग नियमावली प्रख्यापित की गई। कैबिनेट ने इस पॉलिसी पर मुहर लगा दी है। – रेलवे की जमीनों में मास्टर प्लान की बाध्यता नहीं रहेगी। – यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी का नाम कोर यूनिवर्सिटी रखने पर मुहर लगी। – लखवाड़ परियोजना में विभाग ने 4 बार टेंडर निकले थे। एक ही टेंडर आया, उसे खोलने की अनुमति दी गई। तय हुआ कि नेगोशिएशन समिति बनेगी। – देहरादून के महासू देवता और अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम का भी बनेगा मास्टर प्लान। – सरकारी और एडेड कॉलेजों में 12वीं तक के छात्रों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाएंगी। – दिव्यांगजनों को स्टाम्प ड्यूटी में 25%की छूट दी जाएगी।
Next Post

ड्यूटी पर तैनात नशे में धुत डॉक्टर ने मरीज के साथ आए तीमारदारों से की बदसलूकी

उत्तराखण्ड के पहाड़ों की बदतर और बेहाल स्वास्थ्य सेवाओं से हर कोई वाक़िफ़ है। अब अस्पताल जान देने वाले नहीं, जान लेने वाले बनते जा रहे हैं। ऐसा हम इसलिए बोल रहे है क्योंकि अब डॉक्टर नशे में धुत होकर अस्पताल में बैठने लगे है, जिससे मरीजों की शामत आना […]

You May Like