मुंबई: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नागपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ का भूमिपूजन और हीमोग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन करेंगे । ये दोनों संस्थान चिकित्सा क्षेत्र में आगामी दिनों में महती योगदान निभाने वाले साबित होंगे।
मनुष्यों और जानवरों – घरेलू और जंगली, और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने के कारण, मानव स्वास्थ्य को अब अलग -अलग नहीं देखा जा सकता है। लोगों को होने वाले सभी संक्रमण आधे से अधिक जानवरों के जरिये फैल सकते हैं। इस संदर्भ में नागपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वन हेल्थ का भूमिपूजन मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह संस्थान अज्ञात जूनोटिक एजेंटों की पहचान के लिए तैयारियों और प्रयोगशाला क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह समर्पित संस्थान जैव सुरक्षा स्तर की प्रयोगशाला से सुसज्जित होगा। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित उभरते ज़ूनोटिक एजेंटों के प्रकोप की जांच करने और बेहतर नियंत्रण रणनीति विकसित करने में मदद करेगा।
मध्य भारत के विदर्भ क्षेत्र में विशेष रूप से जनजातीय आबादी में, सिकल सेल रोग का प्रसार कुछ जनजातीय समूहों में अपेक्षित वाहक आवृत्ति के साथ देखा गया है। देश में इसी तरह की बीमारियों के प्रसार को देखते हुए हीमोग्लोबिनोपैथी के अनुसंधान, प्रबंधन और नियंत्रण केंद्र की स्थापना की गई है, जो देश में हीमोग्लोबिनोपैथी और इसी तरह की बीमारियों पर शोध में अग्रणी भूमिका निभाएगा। केंद्र बायो-बैंकिंग और प्रोटिओमिक्स सुविधाओं सहित अत्याधुनिक निदान और अनुसंधान सुविधाओं से लैस है, जो भारत को इस बीमारी पर अग्रणी अनुसंधान करने में सक्षम बनाएगा। चिकित्सा उत्कृष्टता का यह केंद्र हीमोग्लोबिनोपैथी को समर्पित है, जो हीमोग्लोबिन के विरासत में मिले विकार हैं और इसमें थैलेसीमिया सिंड्रोम और सिकल सेल रोग शामिल हैं। केंद्र सामुदायिक नियंत्रण कार्यक्रमों और ट्रांसलेशनल रिसर्च के माध्यम से हस्तक्षेप करेगा, जिससे चंद्रपुर और आसपास के क्षेत्रों के रोगियों को लाभ होगा।