देहरादून: उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड के मदरसों का भी सर्वे कराया जाएगा। ने मंगलवार को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि ऐसे कई कारण हैं जिसके कारण मदरसों का सर्वेक्षण कराया जाना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि इस तरह का एक बयान वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स द्वारा दिया गया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि यूपी की तरह उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे किया जाना चाहिए। आज इस बाबत पत्रकारों द्वारा जब मुख्यमंत्री धामी से पूछा गया तो उन्होंने राज्य में चल रहे सभी मदरसों का सर्वे जरूरी बताते हुए कहा कि जल्द ही इनका सर्वे कराया जाएगा। राज्य में इस समय कुल 415 मदरसों का संचालन हो रहा है।
इनकी पहले संख्या 420 थी लेकिन मदरसा बोर्ड द्वारा बीते दिनों 5 मदरसों की मान्यता समाप्त कर दी गई थी क्योंकि यह तय मानकों का पालन नहीं कर रहे थे। इनमें 215 पंजीकृत मदरसे हैं जबकि 200 गैर पंजीकृत है। 215 पंजीकृत मदरसों में से सिर्फ एक मदरसा ऐसा है जिसे राज्य सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है शेष 214 मदरसों के शिक्षकों को केंद्र सरकार द्वारा 12000 रूपये मासिक वेतन के रूप में दिया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इन मदरसों के सर्वे से यह भी पता चल सकेगा कि कौन सा मदरसा कब से संचालित किया जा रहा है तथा किस मदरसे में कितने शिक्षक हैं और कितने छात्र हैं। इन मदरसों का संचालनकर्ता कौन है तथा इनको जो फंडिंग होती है उसका स्रोत क्या है? तथा इन मदरसों में शिक्षा की सुविधाएं क्या है? साथ ही जिस जमीन पर यह मदरसेे चल रहे हैं वह जमीन किसकी है। माना जा रहा है कि इनमें से कुछ मदरसे वक्फ बोर्ड की जमीनों पर बनाए गए हैं। सर्वे में यह भी पता चल सकेगा कि कहीं मदरसों की आड़ में अवैध तरीके से जमीन कब्जाने का खेल तो नहीं चल रहा था। वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने सीएम धामी के सर्वे कराने के निर्णय का स्वागत किया है।