वाराणसी (उप्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिकित्सा शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों के विदेश जाने के लिए बृहस्पतिवार को पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उनकी सरकार देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रही है ताकि छात्र देश में ही मेडिकल शिक्षा पा सकें।
उन्होंने उन छात्रों तथा उनके परिवारों के साथ भी सहानुभूति जताई जिन्होंने यूक्रेन में परेशानियों का सामना करने के बाद प्रधानमंत्री के खिलाफ भी अपना गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस संकट में उनका नाराज होना स्वाभाविक है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे कठिनाइयों और ठंड का सामना कर रहे हैं। सरकार ने यूक्रेन से भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया है। प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान कई छात्रों ने आभार जताया और उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए सरकार की तारीफ की।
इस दौरान मोदी ने कहा कि जब नाराज छात्र वस्तुस्थिति को समझेंगे तो अपना प्यार भी दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परेशानियों का जवाब एक मजबूत भारत ही है। मोदी ने कहा, ‘‘अगर पहले की चिकित्सा शिक्षा नीतियां सही होतीं तो आपको विदेश नहीं जाना पड़ता।’’
उन्होंने कहा कि कोई माता-पिता नहीं चाहते कि इतनी कम उम्र में उनके बच्चे विदेश जाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पिछली गलतियों को सही करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले देश में 300 से 400 मेडिकल कॉलेज थे और अब उनकी संख्या करीब 700 है। इनमें सीटों की संख्या 80-90 हजार से बढ़कर डेढ़ लाख हो गयी है।
मोदी ने कहा, ‘‘मेरा प्रयास है कि हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो। अगले 10 साल में संभवतरू पिछले 70 साल से अधिक डॉक्टर बनकर निकलेंगे।’’ उन्होंने कहा कि कम उम्र में छात्रों को विदेश नहीं जाना पड़े, यह बड़ी बात होगी और उनके अभिभावकों को इतना तनाव नहीं झेलना होगा। मोदी ने छात्रों से बातचीत में कहा कि सभी को देश के लिए कुछ करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘आपको दूसरे देश में इस आयु में अकेले ऐसे अनुभव से जूझना पड़ा। मैं आपकी मानसिक स्थिति की कल्पना कर सकता हूं।अब हम लोगों को सही से निकालने में सक्षम हैं।’’ उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के तहत वाराणसी के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री से छात्रों ने अपने अनुभव साझा किये। कुछ छात्रों ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले की शुरुआत के बाद उन्होंने सारी उम्मीदें छोड़ दी थीं और वे सरकार के सहयोग के बिना लौट नहीं सकते थे। कुछ अन्य छात्रों ने कहा कि उन्हें कोई परेशानी नहीं आई और वहां भारतीय दूतावास ने पर्याप्त सुविधाएं प्रदान कीं।
एक छात्र ने अपने परिवार की ओर से प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यूक्रेन में फंस जाने के बाद उन्हें लगा था कि केवल प्रधानमंत्री ही कुछ कर सकते हैं। उसने मोदी से कहा, ‘‘भगवान के बाद आपको ही याद किया जाएगा।’’ ेएक छात्र ने कहा कि रूस की सेना की मदद से निकलने के लिए कुछ दूसरे देशों के छात्रों ने भी भारतीय झंडे का इस्तेमाल किया।