दिसपुर। देश में समान नागरिक संहिता यानी की यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर खूब राजनीति हो रही है। भाजपा शासित कई राज्यों ने इस दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। इसके बाद से विपक्ष लगातार भाजपा के समान नागरिक संहिता वाले कानून का विरोध करने की बात कर रही है। इन सबके बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से भी इस विषय को लेकर सवाल पूछा गया। हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ तौर पर कहा कि हर कोई यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि हर कोई यूसीसी चाहता है। कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए। किसी भी मुस्लिम महिला से पूछो।
सरमा ने आगे कहा कि यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। अगर उन्हें इंसाफ देना है तो तीन तलाक को खत्म करने के बाद यूसीसी लाना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि असम में मुस्लिम समुदाय का एक धर्म है लेकिन संस्कृति और मूल के 2 अलग-अलग वर्ग हैं। उनमें से एक असम का मूल निवासी है और पिछले 200 वर्षों में प्रवास का कोई इतिहास नहीं है। वह वर्ग चाहता है कि उन्हें विस्थापित मुसलमानों के साथ न मिला दिया जाए और उन्हें एक अलग पहचान दी जाए।
दूसरी ओर नागरिकता को लेकर उन्होंने कहा कि उपसमिति का गठन कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। लेकिन यह सब कमेटी की रिपोर्ट है, सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। यह भविष्य में निर्णय लेगा कि कौन स्वदेशी मुसलमान है और कौन प्रवासी मुसलमान। असम में इसका कोई विरोध नहीं है। वे अंतर जानते हैं, इसे आधिकारिक रूप देना होगा। असम के सीएम से जब राज्य की सीमा के मुद्दे पर अरुणाचल के सीएम के साथ उनकी पिछली बैठक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बैठक पहले ही हो चुकी है। अब जिला कमेटी बनानी है। यह अगले 2 महीनों में मैदान में उतरेगा और फिर हम इस मुद्दे को गांव-गांव हल करना शुरू कर देंगे।