नयी दिल्ली। रामनवमी के दिन देश में अलग-अलग हिस्सों में हुई हिंसा को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। इसी कड़ी में आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है। एक अखबार में लिखें लेख के जरिए सोनिया गांधी ने मोदी पर सख्त टिप्पणी की और सवाल किया कि ऐसा क्या है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नफरत भरे बोल के खिलाफ खड़े होने से रोकता है? इसके साथ ही सोनिया गांधी ने दावा किया कि कट्टरता, नफरत और विभाजन देश की नींव हिला रहे हैं और समाज को ऐसे क्षति पहुंचा रहे हैं जिसकी शायद कभी भरपाई नहीं की जा सकेगी। अपने लेख में उन्होंने लिखा कि त्योहारों के साझा उत्सव, विभिन्न आस्थाओं के समुदायों के बीच अच्छे पड़ोसी वाले संबंध, ये सब युगों से हमारे समाज की गौरवपूर्ण विशेषता है। संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए इसे कमजोर करना भारतीय समाज और राष्ट्रीयता की समग्र और समन्वित नींव को कमजोर करना है।
सोनिया गांधी ने दावा किया कि भारत को स्थायी उन्माद की स्थिति में रखने के लिए इस विभाजनकारी योजना का हिस्सा और भी घातक है। सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है। राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा कि भारत की विविधताओं को स्वीकार करने के बारे में प्रधानमंत्री जी की ओर से बातें तो बहुत हो रही है। लेकिन कड़वी हकीकत यह है कि जिस विविधता ने सदियों से हमारे समाज को परिभाषित किया है, उसका इस्तेमाल उनके राज में हमें बांटने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक उदारवाद का बिगड़ता माहौल और कट्टरता, नफरत और विभाजन का प्रसार आर्थिक विकास की नींव को हिला देता है। कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि ऐसा क्या है, जो प्रधानमंत्री को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से ‘हेट स्पीच’ के खिलाफ खड़े होने से रोकता है, चाहे यह ‘हेट स्पीच’ कहीं से भी आए?
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि डर, धोखा और डराना-धमकाना इस तथाकथित मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट की रणनीति के स्तंभ बन गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कर्नाटक में जो किया जा रहा है, कॉरपोरेट जगत से जुड़े कुछ साहसी लोग उसके खिलाफ बोल रहे हैं। इन साहसी आवाजों के खिलाफ सोशल मीडिया में एक अनुमानित प्रतिक्रिया हुई है। लेकिन चिंताएं बहुत व्यापक हैं- और बहुत वास्तविक भी हैं।’’ सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘संविधान सभा द्वारा 1949 में संविधान को अंगीकृत किये जाने के उपलक्ष्य में मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की है। यह हर संस्था को व्यवस्थित रूप से शक्तिहीन करते हुए संविधान का पालन करने जैसा है। यह सरासर पाखंड है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘देश का एक उज्ज्वल भविष्य बनाने और युवा प्रतिभाओं का बेहतर इस्तेमाल करने में हमारे संसाधनों का उपयोग करने के बजाय, एक काल्पनिक अतीत के नाम पर वर्तमान को नया रूप देने के प्रयासों में समय और मूल्यवान संपत्ति दोनों का उपयोग किया जा रहा है।