श्रीनगर। द कश्मीर फाइल्स फिल्म देश को कश्मीरी पंडितों की पीड़ा का अहसास दिलाने में सफल रही है लेकिन कश्मीर में बरसों तक राज करने वाले नेताओं को इस बात से पीड़ा हो रही है कि क्यों कश्मीरी पंडितों का इतना जनसमर्थन मिल रहा है। इसीलिए फारुक अब्दुल्ला हों, उमर अब्दुल्ला हों, महबूबा मुफ्ती हों या सज्जाद लोन…सभी एक सुर में इस फिल्म में दिखाये गये तथ्यों को गलत ठहराने में लगे हैं। जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने तो श्द कश्मीर फाइल्सश् को कोरी कल्पना पर आधारित फिल्म बताकर खारिज कर दिया है और दावा किया है कि जिनता दर्द पंडितों ने झेला उतना ही कश्मीरी मुस्लिमों ने भी झेला है। सज्जाद लोन ने कहा कि कश्मीरी मुस्लिमों का दर्द पचास गुना ज्यादा है।
फारूक अब्दुल्ला का पक्ष
दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि यह फिल्म वास्तविकता से बहुत दूर है और राष्ट्र के ध्रुवीकरण के लिये ‘प्रॉपेगैंडा’ के अलावा कुछ नहीं है। कश्मीरी पंडितों के पलायन को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे फारूक अब्दुल्ला ने एक ‘ईमानदार’ व्यक्ति की अध्यक्षता में ‘सत्य और सुलह आयोग’ के गठन का सुझाव दिया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस समय क्या हुआ था। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि 1990 में जो कुछ भी हुआ वह एक त्रासदी थी। उन्होंने कहा कि मेरे कश्मीरी पंडित भाइयों और बहनों को अपना घर छोड़ना पड़ा। उन्होंने कहा मैं चाहता हूं कि सब कुछ ठीक से जांचा जाए कि उस समय नस्ली सफाए में रुचि रखने वाले ‘पक्ष’ कौन थे? पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “फिल्म वास्तविकता से बहुत दूर है और यह केवल राष्ट्र का ध्रुवीकरण करने के लिए है।श्श् उन्होंने कहा कि जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए। यहां बाइट लग जायेगी।
उमर अब्दुल्ला का पक्ष
वहीं फारूक अब्दुल्ला के बेटे और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी आरोप लगाया है कि यह फिल्म वास्तविकता से बहुत दूर है। नेशनल कॉफ्रेंस ने उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर श्द कश्मीर फाइल्सश् एक व्यावसायिक फिल्म होती, तो किसी को कोई समस्या नहीं थी लेकिन अगर फिल्म निर्माता दावा करते हैं कि यह वास्तविकता पर आधारित है, तो सच्चाई इससे अलग है। अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के दमाल हांजीपोरा में संवाददाताओं से कहा, श्जब कश्मीरी पंडितों के पलायन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, तब फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री नहीं थे। जगमोहन राज्यपाल थे। केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी, जिसे भाजपा ने बाहर से समर्थन दिया हुआ था।श् उमर ने आश्चर्य जताया कि इस तथ्य को फिल्म से दूर क्यों रखा गया है। उन्होंने कहा, श्सच्चाई को तोड़े-मरोड़े नहीं। यह सही चीज नहीं है।श्
उमर ने कहा, अगर कश्मीरी पंडित आतंकवाद के शिकार हुए हैं तो हमें इसके लिए बेहद खेद है। हालांकि, हमें उन मुसलमानों और सिखों के संघर्ष को भी नहीं भूलना चाहिए, जिन्हें उसी बंदूक से निशाना बनाया गया था। उमर ने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों का अभी वापस आना बाकी है। उन्होंने कहा, श्आज एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है जहां हम उन सभी को वापस ला सकें, जिन्होंने अपना घर छोड़ दिया था।श् पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए माहौल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा, श्हालांकि, मुझे नहीं लगता कि जिन लोगों ने यह फिल्म बनायी है, वे उन्हें (कश्मीरी पंडितों को) वापस लौटने देना चाहते हैं। इस फिल्म के जरिए, वे चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित हमेशा बाहर ही रहें।श् बाद में उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, श्वर्ष 1990 और उसके बाद के दर्द और परेशानियों को बदला नहीं जा सकता। जिस तरह से कश्मीरी पंडितों से सुरक्षा की भावना छीन ली गई थी और उन्हें घाटी छोड़कर जाना पड़ा था, वो हमारी कश्मीरी परंपरा पर धब्बा है। हमे विभाजन को बढ़ाने नहीं बल्कि दूर करने के रास्ते तलाशने होंगे।श् इस बीच, एक कश्मीरी पंडित द्वारा ट्विटर पर इस मसले पर लंबी चुप्पी को लेकर उठाए गए सवाल पर उमर अब्दुल्ला ने याद दिलाते हुए कहा, श्मुख्यमंत्री होने के दौरान भी और पद से हटने के बाद भी, मैं पिछले कई वर्षों से इस बात को बोल रहा हूं। शायद, जो मैं तब से बोल रहा हूं, उस पर आप ध्यान नहीं दे रहे। 1990 के बाद से जो हुआ, मैं उसका पता लगाने के लिए लंबे समय से सुलह आयोग और सत्य सामने लाने की वकालत कर रहा हूं।श्
महबूबा मुफ्ती का पक्ष
दूसरी ओर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि केंद्र जिस आक्रामक तरीके से ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म का प्रचार कर रहा है और कश्मीरी पंडितों के दर्द को ‘हथियार’ बना रहा है, उससे उसकी ‘गलत मंशा’ स्पष्ट हो जाती है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख ने कहा कि पुराने घावों को भरने और दोनों समुदायों के बीच अनुकूल माहौल बनाने के बजाय केंद्र ‘‘जानबूझकर उन्हें अलग कर रहा है।’’
सरकार का पक्ष
तो कश्मीर के नेता एक सुर में इस फिल्म के खिलाफ खड़े हो गये हैं लेकिन जहां तक सरकार का पक्ष है तो केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह या तो जानबूझकर झूठ बोल रहे हैं या इतिहास के घटनाक्रम को भूल गये हैं।