शेख हसीना ने जताया भारत का आभार, यूक्रेन में फंसे बांग्लादेशियों को बचाने के लिए पीएम मोदी को लिखा पत्र

Prashan Paheli

नयी दिल्ली। यूक्रेन में फंसे लगभग सभी भारतीयों की स्वदेश वापसी हो गयी हैं। इसके अलावा भारत ने अपने कई पड़ोसी राज्यों की भी इस दौरान मदद की हैं। भारत ने कई पड़ोसी देशों के यूक्रन में फंसे लोगों को भी रेस्क्यू किया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को यूक्रेन के सूमी क्षेत्र में फंसे बांग्लादेशी नागरिकों को निकालने में उनकी सहायता के लिए धन्यवाद दिया। हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में कहा, ष्मैं यूक्रेन के सुमी ओब्लास्ट में फंसे भारतीयों के साथ-साथ कुछ बांग्लादेशी नागरिकों को निकालने में समर्थन और सहायता देने के लिए आपको और आपकी सरकार को धन्यवाद देने के लिए लिखती हूं।

पत्र में आगे लिखा गया है, ष्इस संबंध में आपकी सरकार जो तहे दिल से सहयोग कर रही है, वह अद्वितीय और स्थायी संबंधों का एक वसीयतनामा है, जिसका हमारे दोनों देश वर्षों से आनंद ले रहे हैं।ष् उन्होंने देश के पहले प्रधान मंत्री शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी के अवसर पर पिछले साल पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा को भी याद किया, और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं। हसीना ने कहा, ष्मैं पिछले साल हमारे राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती समारोह के दौरान बांग्लादेश की आपकी यात्रा को कृतज्ञतापूर्वक याद करती हूं।ष्

उन्होंने होली की बधाई भी दी और विश्वास जताया कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे। हसीना ने कहा, ष्मुझे विश्वास है कि बांग्लादेश और भारत दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे और दोनों देशों के लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करेंगे। मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य और आगे होली की शुभकामनाएं देती हूं।ष्

बांग्लादेशी प्रधान मंत्री ने पहले भी 9 मार्च को ऑपरेशन गंगा के तहत बांग्लादेशी नागरिकों को निकालने के लिए अपने भारतीय समकक्ष को धन्यवाद दिया था। यूक्रेन के पड़ोसी देशों से भारतीय नागरिकों को बचाने के लिए श्ऑपरेशन गंगाश् के तहत 20,000 से अधिक भारतीयों और अन्य नागरिकों को विशेष उड़ानों से भारत वापस लाया गया।

भारत और बांग्लादेश के इतिहास में 19 मार्च की तारीख का एक खास महत्व है। दरअसल वह 19 मार्च 1972 का दिन था जब इन दोनो देशों के बीच मैत्री एवं शांति संधि पर हस्ताक्षर हुये, जिसके साथ दोनो देशों के बीच परस्पर सहयोग का एक नया युग प्रारंभ हुआ। शांति और सहयोग की आधारशिला पर हुई मैत्री संधि में जिन साझे मूल्यों का उल्लेख किया गया, उनमें उपनिवेशवाद की आलोचना और गुटनिरपेक्षता जैसी बातें शामिल थीं। दोनों देशों ने एक-दूसरे से यह वादा भी किया कि वे कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे।

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