नयी दिल्ली। चौधरी अजीत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र और एक लोकप्रिय किसान नेता थे। वह भारत के कृषि मंत्री रहे और 2011 से केन्द्र की यूपीए सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। वह राष्ट्रीय लोक दल के लम्बे समय तक अध्यक्ष रहे। चौधरी अजीत सिंह उत्तर प्रदेश के बागपत से निर्वाचित सांसद भी रह चुके।82 साल की उम्र में 6 मई 2021 को चौधरी अजीत सिंह ने गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। बता दें कि, उन्हें 20 अप्रैल 2021 को कोविड पॉजिटिव पाया गया था। रालोद सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह एक ऐसे नेता थे जिनकी पहचान जाट में ही नहीं बल्कि पूरे देश में छोटे चौधरी के नाम से थी। उनकी एक आवाज पर किसान और जाट बिरादरी एक हो जाती थी। छोटे चौधरी अजीत सिंह के चाहने वाले उनके समर्थक के साथ -साथ विपक्षी भी थे। विदेश में रहकर 15 सालों तक चौधरी अजीत सिंह ने प्यूटर इंजीनियरिंग के तौर पर नौकरी भी की। पिता चौधरी चरण सिंह की मृत्यु के बाद चौधरी अजीत सिंह की राजनीति में एंट्री हुई और उन्होंने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया। पिता के देहांत के बाद चौधरी अजीत सिंह ने न केवल पश्चिमी उप्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी मजबूत पहचान बनाई। 1990 में जब देश में जनता दल की सरकार आई तो अजित सिंह ने उमसें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
जानकारी के लिए बता दें कि, चौधरी अजीत सिंह यूपी के बागपत सीट से 7 बार सांसद रहे। अजीत सिंह को जाट के नेता के रूप में जाना जाने लगा। अजीत सिंह अपने पिता द्वारा स्थापित लोक दल को एक बार फिर से पुनर्जीवित करने के लिए भारत लौटे थे। अजीत सिंह 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने सात बार लोकसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने देश के नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में भी कार्य किया।1987 में, अजीत सिंह ने लोक दल अजीत नाम से लोक दल का एक स्टैंडअलोन समूह बनाया। एक साल बाद, लोक दल अजीत का जनता पार्टी में विलय हो गया। चौधरी अजीत सिंह नवगठित पार्टी के अध्यक्ष बने। जनता दल, लोक दल और जन मोर्चा के विलय से जनता दल का गठन हुआ और चौधरी अजीत सिंह इसके महासचिव चुने गए।