नयी दिल्ली। राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी नेशुक्रवार को विगत तीन दशक से निर्वासन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों का उच्च सदन में मामला उठाया और केंद्र सरकार से मांग की कि वह पारगमन आवास इकाइयों (ट्रांसिट एकोमोडेशन यूनिट्स) के निर्माण कार्य में तेजी लाए और घाटी में उनकी वापसी सुनिश्चित करे। शून्य काल में इस मुद्दे को उठाते हुए शिव सेना सदस्य ने कहा कि कश्मीरी पंडित पिछले लगभग 32 सालों से निर्वासन झेल रहे हैं और उन्हें घर वापस लौटने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 20145 में सरकार ने वादा किया था कि वह कश्मीरी पंडितों के लिए 6000 आवास बनाएगी लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि संसद की गृह मामलों की स्थायी समिति के अनुसार यह काम बहुत धीमा चल रहा है और अभी तक सिर्फ 15 प्रतिशत काम ही हो सका है। चतुर्वेदी ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के बड़े-बड़े वादों के बावजूद, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और बाहरी लोगों को वहां जमीन खरीदने की अनुमति देने के बावजूद कश्मीरी पंडितों को घरों से वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘…मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि वह ट्रांसिट एकोमोडेशन यूनिट्स निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाए और कश्मीरी पंडित समुदाय की वापसी, उनका पुनर्वास और उनका सशक्तीकरण सुनिश्चित करे।
वह पिछले 30 सालों से अपने घरों को लौटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार को उनकी सुरक्षित वापसी और सम्माजनजनक जिंदगी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’ शून्य काल के दौरान ही माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम ने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण पर चिंता जताई और कहा कि इससे लोगों के मनों में भय का वातावरण पैदा हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने राष्ट्रीय रोजगार नीति के ढांचे को मजबूत करने की मांग उठाई।