देहरादून। उत्तराखंड में दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा को सीट संख्या में बदलने के लिए भाजपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस बार फिर आम कार्यकर्ताओं की जगह परिवारवाद को तरजीह दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने प्रदेश के कुल 20 फीसदी से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों पर ही भरोसा जताया है। प्रदेश में 70 विधानसभा सीट पर 14 फरवरी को होने वाले चुनाव में एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी अपने माता-पिता, ससुर, भाई या पति के नाम का सहारा लेकर मतदाताओं का आशीर्वाद लेने का प्रयास कर रहे हैं। लैंसडौन सीट से कांग्रेस ने हाल में पार्टी में दोबारा शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को चुनावी मैदान में उतारा है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दबंग छवि वाले हरक सिंह की चुनाव में जीतने की क्षमता का लाभ पार्टी को भाजपा से इस सीट को छीनने में जरूर मिलेगा। इस सीट पर अनुकृति का मुकाबला भाजपा के दो बार के विधायक दिलीप सिंह रावत से है जिन्होंने 2012 में अपने पिता एवं क्षेत्र के कद्दावर नेता भारत सिंह रावत की राजनीतिक विरासत संभाली थी। कांग्रेस ने अपनी कद्दावर नेता इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद हल्द्वानी सीट से उनके पुत्र सुमित को टिकट दिया है और उन्हें उम्मीद है कि वह अपनी मां की परंपरागत सीट को पार्टी के कब्जे में बरकरार रखेंगे। देहरादून कैंट विधानसभा सीट पर रिकॉर्ड आठ बार विधायक रहे हरबंस कपूर के हाल में निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी सविता को चुनाव मैदान में उतारा है।
सविता के साथ ही पार्टी को भी पूरा भरोसा है कि हरबंस कपूर के कद का चुनावी लाभ जरूर मिलेगा। भाजपा ने इसके अलावा खानपुर से विधायक कुंवर प्रणब सिंह चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवरानी देवयानी, काशीपुर से हरभजन सिंह चीमा की जगह उनके पुत्र त्रिलोक सिंह को मैदान में उतारा है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी की पुत्री रितु खंडूरी को कोटद्वार से, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा को सितारगंज, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत को पिथौरागढ़, पूर्व विधायक दिवंगत सुरेंद्र सिंह जीना के भाई महेश जीना को सल्ट से टिकट दिया गया है। कांग्रेस ने पार्टी महासचिव हरीश रावत की पुत्री अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से जबकि पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के पुत्र संजीव को नैनीताल से उम्मीदवार बनाया है। भगवानपुर से विधायक और कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं ममता राकेश क्षेत्र के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत सुरेंद्र राकेश की पत्नी हैं।
काशीपुर से कांग्रेस ने पूर्व सांसद और विधायक केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। हरीश रावत भी स्वयं लालकुआं से जबकि यशपाल आर्य बाजपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ, पुत्र त्रिलोक को भाजपा का टिकट मिलने पर विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि राजनीतिक परिवारों के बच्चों को राजनीति के क्षेत्र का अनुभव पहले से ही होता है। उन्होंने पीटीआई- से कहा, ‘‘मैंने चार चुनाव लडेघ् और जीते हैं तथा सभी में मेरा बेटा साथ रहा है। इसके अलावा भी उसने मेरे राजनीतिक और सामाजिक क्रियाकलापों को नजदीक से देखा है तथा उनमें भाग लिया है।’’ यह पूछे जाने पर कि राजनीतिक नेता अपनी जगह अपने परिवार के अलावा किसी अन्य कार्यकर्ता को आगे क्यों नहीं बढ़ाते, चीमा ने कहा कि जब किसान का बेटा खेती करता है, दुकानदार का बेटा दुकान पर ही बैठता है तो नेताओं का बेटा राजनीति में क्यों नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिज्ञ का बेटा होना गुनाह तो नहीं हो सकता।’’ हालांकि, उनकी पार्टी के कुछ नेता इससे इत्तेफाक नहीं रखते।
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव को छोड़कर अन्य सभी पर एक परिवार एक टिकट का फार्मूला लागू करने की बात कहती रही कांग्रेस ने इसी आधार पर हरक सिंह को टिकट की दौड़ से बाहर कर दिया। हालांकि, कांग्रेस महासचिव और प्रदेश की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत अपने अलावा अपनी पुत्री अनुपमा के लिए भी पार्टी टिकट पाने में सफल रहे। इस संबंध में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि अनुपमा को पार्टी ने टिकट एक कार्यकर्ता के तौर पर दिया है जो पिछले 20 साल से क्षेत्र में काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अनुपमा एक तो अलग परिवार है और दूसरा वह पिछले 20 साल से वहां काम कर रही हैं।