नयी दिल्ली। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो चुका है लेकिन अंतिम दिन की घटना को लेकर विपक्षी ने सरकार पर कई आरोप लगाए थे। जिसके बाद 6 केंद्रीय मंत्रियों ने मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सभी आरोपों का जवाब दिया। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष की तमाम मांगे मानी गई लेकिन फिर भी सदन नहीं चलने दिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कल से एक दिन पहले (संसद में) कुछ सांसद मेजों पर चढ़ गए। वे अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। उन्हें लगा कि उन्होंने कुछ अच्छा किया है। उन्होंने इसका वीडियो शूट करने के बाद ट्वीट किया। जबकि वीडियो शूटिंग करने की अनुमति नहीं होती।
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस और उसकी मित्र पार्टियों ने पहले से ये तय कर लिया था कि हम इस बार संसद नहीं चलने देंगे। उन्होंने मंत्रियों का परिचय नहीं होने दिया, उन्होंने महत्वपूर्ण बिलों पर भी चर्चा नहीं होने दी।
उन्होंने कहा कि साढ़े सात साल भी वो (विपक्ष) जनादेश स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। खासकर कांग्रेस को ऐसा लगता है कि ये हमारी सीट थी और इसे मोदी जी ने आकर छीन लिया। उनकी घ्इसी मानसिकता की वजह से ऐसी चीजें हो रही हैं।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि लोग संसद में अपने मुद्दों को उठाए जाने का इंतजार करते हैं। जबकि अराजकता विपक्ष का एजेंडा रहा। उन्हें लोगों, करदाताओं के पैसे की परवाह नहीं थी। जो हुआ वह निंदनीय था। घड़ियाली आंसू बहाने के बजाय देश से माफी मांगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी को नए मंत्रियों का परिचय तक कराने का भी मौका नहीं दिया गया। इतना ही नहीं उन्होंने ने तो नए मंत्रियों को राज्यसभा में बहस सुनने की नसीहत भी दी।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस सत्र में हमने लगातार बहुत ही दुखद और शर्मनाक घटनाएं देखीं। पूरे विपक्ष की मंशा शुरू से सदन की गरिमा गिराने और सत्र को नहीं चलने देने की रही। ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक में भी शायद एक राजनीतिक मजबूरी में उन्होंने सदन को चलने दिया।