नयी दिल्ली। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि परिसीमन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है और पार्टी का मानना है कि इस कवायद का मूल आधार ही अवैध है।
इस सप्ताह की शुरुआत में परिसीमन आयोग के साथ बैठक के दौरान हुयी बातचीत का विस्तृत ब्योरा देते हुए वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला ने पीटीआई-से कहा, बैठक में हमारे द्वारा उठाया गया पहला बिंदु यह था कि आयोग अवैध है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन को चुनौती देने वाली पार्टी की याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित थी।
हालांकि, आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई ने नेशनल कॉन्फ्रेंस की दलीलों का प्रतिवाद करते हुए कहा कि जहां तक आयोग का संबंध है, उन्हें सरकार द्वारा अधिकार दिया गया था और इसलिए उन्होंने अपना काम किया। अब्दुल्ला ने कहा, लेकिन उच्चतम न्यायालय आखिरकार जो कहेगा, वह उन (आयोग) पर भी बाध्यकारी होगा, ताकि स्थिति साफ हो। उसके बाद उन्होंने अन्य मापदंडों का भी वर्णन किया। अब हम उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं।
न्यायालय द्वारा पिछले परिसीमन आयोगों की सिफारिशों में हस्तक्षेप नहीं करने पर, अब्दुल्ला ने कहा कि वर्तमान आयोग का गठन जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त करने के बाद हुआ था, जिसे सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई है और अभी तक इस पर कोई आदेश नहीं सुनाया गया है।
उन्होंने कहा, इसीलिए…हम उच्चतम न्यायालय जा रहे हैं। अन्य लोग भी गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने 20 दिसंबर की परिसीमन आयोग की बैठक के बाद दावा किया कि वह और अन्य नेकां सदस्य संतुष्ट हैं।
इस पर अब्दुल्ला ने कहा, उन्हें (सिंह) हमसे क्या उम्मीद थी। लड़ते? हम गुंडे नहीं हैं। हमें मतदान का अधिकार नहीं है, हम केवल सुन सकते हैं और अपनी आपत्तियां रख सकते हैं जिसकी उन्होंने हमें अनुमति दी है। और उन्होंने हमें 31 दिसंबर तक का समय दिया है। उससे पहले आपत्तियों के साथ हमारी रिपोर्ट वहां होगी।’’
आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट में अनुसूचित जनजातियों के लिए नौ और अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटों के आरक्षण का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, हम अनुसूचित जनजाति आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं। बिना आरक्षण के भी, उनके 15 सदस्य थे। इसलिए कोई नयी बात नहीं है। अनुसूचित जाति (की जनसंख्या) भी पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है … कश्मीरी पंडितों की लंबे समय से इसके लिए उत्कंठा रही है। उनका, सिखों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों का क्या? मुझे पूरा यकीन है कि यह समुदायों को और बांटने वाला है और यह एक त्रासदी है।
परिसीमन आयोग की दूसरी बैठक में भाग लेने पर कुछ तबकों में आलोचना होने के संदर्भ में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता ने कहा, अगर हम भाग नहीं लेते हैं, तो भी वे हमारी आलोचना करेंगे। इसलिए आलोचना इस जीवन का हिस्सा है और हम आलोचना से चिंतित नहीं होते हैं। वे (आलोचक) हमें ताकत देते हैं। हमने भाग लिया, इससे हमें पता लगा कि इसमें क्या है और उन्होंने क्या किया है? उन्होंने किस प्रकार किया है?
अब्दुल्ला ने कहा, एकता प्राथमिकता है और सौभाग्य से सोनिया गांधी के प्रयास उसके लिए हैं। हमें उनकी सराहना करनी चाहिए कि उन्होंने यह कदम उठाया है। यह एक अच्छी शुरुआत है और मुझे भरोसा है कि 2024 के चुनाव से पहले यह एक अच्छी एकता में परिवर्तित होगा। मुझे विश्वास है कि और अधिक बैठकें होंगी, अधिक लोग एक साथ आएंगे क्योंकि हम अकेले सांप्रदायिक ताकतों को नहीं हरा सकते।