कुरुक्षेत्र। राष्टड्ढ्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्टड्ढ्रीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश ने कहा कि पवित्र ग्रंथ पूरी दुनिया को अध्यात्म और दार्शनिक तरीके से देखना-समझना सिखाता है, जिंदगी को जीना सिखाता है। हम अपने जीवन और उसके उदेश्यों को लेकर कई तरह के प्रश्नों से जूझते रहते है, लेकिन यह पवित्र ग्रंथ हमें हर प्रश्नों का जवाब बहुत अच्छे तरीके से देता है। यह ज्ञान हर मनुष्य के लिए जरुरी है। पवित्र ग्रंथ गीता में कहा गया है कि चिंता चिता के सम्मान है। आज के समय में तनाव के कारण तरह-तरह की बीमारियां से मनुष्य ग्रस्त हो रहा है। ऐसे में पवित्र ग्रंथ गीता का ज्ञान बड़ा ही फायदेमंद है।
राष्टड्ढ्रीय प्रचारक इन्द्रेश वीरवार को देर सायं ब्रहमसरोवर पुरुषोतमपुरा बाग में महोत्सव के गीता महाआरती कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे। इससे पहले राष्टड्ढ्रीय प्रचार इन्द्रेश, कुलपति गजेन्द्र चैहान, हरियाणा राईस मिलर्ज एसोसिऐशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, जिला महामंत्री सुशील राणा, केडीबी सदस्य डा. सौरभ चैधरी, विजय नरूला, केसी रंगा सहित अन्य गणमान्य लोगों ने अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव पर ब्रहमसरोवर की महाआरती और पूजा-अर्चना की तथा दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रुप से महाआरती का शुभारम्भ भी किया। इस महाआरती का गुणगान पंडित बलराम गौतम, पंडित सोमनाथ शर्मा, गोपाल कृष्ण गौतम, अनिल व रुद्र ने किया।
उन्होंने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता विश्व का एक महान ग्रंथ है। इस ग्रंथ में कहे गए एक-एक श्लोक में मानवता के लिए कुछ ना कुछ है। इसलिए अपने जीवन को सफल बनाने और सही मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में पवित्र ग्रंथ गीता के श्लोकों को धारण करना चाहिए। इस ग्रंथ के प्रत्येक श्लोक को स्मरण करने से मन को अध्यात्मिक शांति का अनुभव होता। विश्व में गीता की पूजा हो रही है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता का जो संदेश दिया था, गीता के उस सार को सभी को अपने जीवन में अपनाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद एक्टिव होकर अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव के आयोजन में लगे हुए है और पवित्र ग्रंथ गीता को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि 25 दिसम्बर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर पहुंच रहे है। इस कार्यक्रम के अंत में केडीबी की तरफ से सभी मेहमानों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।