नयी दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ओएचसीएचआर द्वारा जम्मू कश्मीर की स्थिति पर टिप्पणी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के कारण क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों की समझ की पूरी कमी को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ काम करते हैं न कि अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ। बागची की टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में विशिष्ट घटनाओं पर मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (व्भ्ब्भ्त्) के प्रवक्ता द्वारा दिए गए एक बयान के जवाब में आई है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकाय ओएचसीएचआर की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की भारतीय आतंकवाद निरोधी कानून यूएपीए के तहत गिरफ्तारी को लेकर हम काफी चिंतित हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा कि ओएचसीएचआर के उच्चायुक्त के प्रवक्ता का बयान आधारहीन है। उन्होंने कहा कि बयान में कानून प्रवर्तन अधिकारियों और भारत के सुरक्षा बलों के खिलाफ ‘‘निराधार‘‘ आरोप लगाए गए थे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ओएचसीएचआर की टिप्पणी से बयान से पता चलता है कि भारत सीमा पार के आतंकवाद का जिस तरह से सामना कर रहा है और उससे हमारे लोगों का मानवाधिकार जिस तरह प्रभावित हो रहा है, उसका उन्हें अंदाजा भी नहीं है।
खुर्रम परवेज को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 22 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उसके भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का पता चला था और उसका पाकिस्तान स्थित एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से सीधा संबंध था। खुर्रम परवेज पर अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) कानून (यूएपीए) के तहत कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। खुर्रम पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 ठ (आपराधिक साजिश का हिस्सा होना) और धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) जैसी गंभीर धाराएं भी लगी हैं।