पूर्वांचल विकास मॉडल के सहारे पूर्वी यूपी में कमल खिलाने की तैयारी में भाजपा

Prashan Paheli

नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अपनी तैयारियों में जुट गई है। हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार द्वारा लाई गई तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री के इस ऐलान को राजनीतिक विश्लेषक चुनावी नफा-नुकसान से जोड़कर देख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर हुई। हालांकि, पार्टी उत्तर प्रदेश में किसी बड़े झटके से पहले ही कड़ी मेहनत करने में जुट गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वर्तमान में भाजपा का पूरा का पूरा फोकस पूर्वांचल पर है। राजनीतिक विश्लेषकों और नेताओं ने इसे पूर्वांचल विकास मॉडल के रूप में वर्णित करना शुरू कर दिया है।

पिछले 1 महीने में देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद तीन बार पूर्वी उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। हाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इससे पहले वह कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। इसके अलावा वह सिद्धार्थ नगर से मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया था। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी कॉरिडोर परियोजना का उद्घाटन करने के लिए पहुंच सकते हैं। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह अभी हाल में ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के दौरे पर गए थे जहां उन्होंने कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। नरेंद्र मोदी और अमित शाह लगातार विकास परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं जिसका भाजपा पूरे जोर-शोर से प्रचार कर रही है।

क्षेत्र के हिसाब से देखें तो पूर्वांचल उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा है जिसमें 28 जिले आते हैं। इन 28 जिलों के 164 विधानसभा सीटों पर भाजपा की नजर है और यही कारण है कि पार्टी ने पूर्वांचल में अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से आते हैं। 2017 के चुनाव में देखें तो पूर्वांचल में भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा था जहां की 164 सीटों में से भगवा पार्टी को 115 सीटें मिली थी। समाजवादी पार्टी को 17 सीटें जबकि बसपा को 15 सीटें मिली थी। इसके अलावा कांग्रेस के खाते में दो जबकि अन्य के खाते में 15 सीटें गई थी। पार्टी को इस बात की उम्मीद है कि वह पूर्वांचल में अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा पाने में उसे कामयाबी जरूर मिलेगी।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि पूर्वांचल में इस बार लड़ाई नैरेटिव और परसेप्शन पर टिकी हुई है और भाजपा अपनी योजनाओं को लोगों के बीच प्रचारित करने के लिए काफी मेहनत कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि पूर्वांचल हमारे अभियान की आत्मा है और हमें पहले की तुलना में यहां अधिक सीटें जीतना है। इसके अलावा पार्टी क्षेत्र में गैर यादव ओबीसी को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। पार्टी अभी मान रही है कि भले ही ओमप्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल हो गए हैं लेकिन उनके मतदाताओं का अब भी सॉफ्ट कॉर्नर भाजपा की ओर है जिसे हम हर हाल में हासिल करना चाहते हैं।

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