-भीख मांगने को विवश हैं प्रदेश के लोक कलाकार
देहरादून: कुमाऊं लोक कलाकार महासंघ के महासचिव गोपाल सिंह चम्याल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड के 9 माह हो चुके हैं लोक कलाकारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। विदित है कि लॉकडाउन के बाद कोई भी सांस्कृतिक आयोजन का नहीं नहीं हो पाया। जिससे प्रदेश के पारंपरिक लोक कलाकार बेरोजगार हो चुके हैं।
प्रदेश सरकार के द्वारा पंजीकृत लोक कलाकारों को 4 माह में एक बार केवल एक हजार रुपए देने की बात कही जिसमें अभी भी कई कलाकारों के खातों में वह पैसा नहीं पहुंच पाया है जिससे लोक कलाकारों का जीवन यापन करना बहुत मुश्किल हो रहा है प्रदेश के लोक कलाकारों का पौराणिक कौतिक, क्षेत्रीय उत्सव मेलों के माध्यम से एवं सरकारी योजनाओं का प्रचार कर क्षेत्रीय भाषा के प्रचार प्रसार से जीवन यापन होता था वर्तमान में 9 माह से लोक कलाकार बेरोजगार हैं और आत्मसम्मान के कारण भीख मांगकर भी गुजारा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लोक कलाकारों की समस्याओं के समाधान हेतु निरन्तर सरकार के समक्ष आवाज उठाई जाती रही है लेकिन सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करने वाली सरकार के लिए शायद संस्कृतिकर्मियों पीड़ा का कोई महत्व नहीं रह गया है। समाज के अभिन्न अंग लोक कलाकारों को प्रदेश सरकार मुख्यधारा से किनारा कर रही है जिससे लोककलाकारों के मन मे आक्रोश पनप रहा है। श्री चम्याल ने प्रदेश सरकार से गुजारिश की है कि लोक कलाकारों के हितों के लिए सरकार को जमीनी स्तर पर कार्य करना चाहिए अन्यथा 2022 के विधानसभा चुनावों में परिणाम विपरीत होंगे।