हरिद्वार। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में आचार्य महामंडलेश्वर पद के पट्टाभिषेक को लेकर उत्पन्न हुए विवाद का समाधान करने के लिए आचार्य महासभा को आगे आना चाहिए। सभी आचार्य महामंडलेश्वर और देश के वरिष्ठ धर्माचार्य का प्रतिनिधित्व करने वाली आचार्य महासभा जिसके अध्यक्ष जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज स्वयं हैं। ऐसे में आचार्य महासभा की भूमिका बनती है कि वह विवाद को समाप्त करें। स्वामी प्रज्ञानंद एवं स्वामी कैलाशानंद दोनों ही योग्य हैं। अखाड़े द्वारा किसी को भी आचार्य पद पर अभिषिक्त किया जा सकता है।
किंतु हमारा मानना है कि सभी अखाड़ों को गाइडलाइन के रूप में एक संविधान निर्मित करना चाहिए। महामंडलेश्वर एवं आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किस अहर्ता के आधार पर किया जा सकता है तथा किन कारणों से उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
पद को लेकर इस प्रकार से धर्माचार्य में मतभेद और विवाद उत्पन्न हो, यह प्रसंग गरिमा युक्त नहीं है। अतः आचार्य महासभा के धर्माचार्य को आगे आकर इस विवाद का पटाक्षेप कर देना चाहिए।