मुख्यमंत्री धामी ने वन्य जीव बोर्ड की नियमित बैठक नहीं होने पर जताई नाराजगी, बोले-बनाएं एजेंडा

Prashan Paheli

देहरादून: मुख्यमंत्री ने मंगलवार को वन्यजीव बोर्ड की बैठक में नियमित तौर पर समय से आयोजित नहीं होने नाराजगी जाहिर की है। इस दौरान कहा कि औपचारिकता नहीं एजेंडा पर काम का समाधान निकालना चाहिए।

सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17वींं बैठक आयोजित की गई। मुख्यमंत्री लम्बे समय से बोर्ड की बैठक न होने पर नाराजगी जाहिर की। बोर्ड की बैठक नियमित तौर पर समय से आयोजित की जाएं। सरकार की प्राथमिकता सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर काम करना है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में नया वर्क कल्चर लाए हैं। हमें राज्य में जनहित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि बैठकों में स्वागत संबंधी औपचारिकताओं को न करते हुए सीधे बैठक के एजेंडा पर चर्चा की जाए। इससे चर्चा के लिये अधिक समय मिल सकेगा। बैठकों में केवल बातचीत ही नहीं बल्कि समाधान भी निकले।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है, साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। हमें ईकोलोजी और ईकोनॉमी में समन्वय बनाकर चलना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना है। खासतौर पर खेती को बंदरों से बचाने के लिये यथासम्भव तकनीक का उपयोग किया जाए। इसका कोई स्थायी समाधान खोजा जाए। हरेला पर्व पर विशेष तौर पर अधिक से अधिक फलदार पेड़ लगाए जाएं। हरेला पर्व केवल वनविभाग तक सीमित न रहे, इसे जन जन का उत्सव बनाना है।

उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर अनुमोदन के बाद जो भी प्रस्ताव केंद्र स्तर पर जाते हैं, उनका लगातार फॉलोअप सुनिश्चित किया जाए। इसके लिये जरूरत होने पर अधिकारी विशेष को नियुक्त किया जा सकता है।

उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के लिये रोप -वे, गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोप-वे सहित विभिन्न प्रकरणों के वन भूमि हस्तांतरणों पर विचार विमर्श किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन उत्कृष्टता केंद्र और वन्यजीव स्वास्थ्य उत्कृष्टता केंद्र की प्रदेश में स्थापना की जाएगी। स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्राइमरी रिस्पांस टीमों का गठन किया जाएगा जो कि वन व वन्य जीव संरक्षण के साथ ही वनाग्नि को रोकने पर भी काम करेंगी। टाइगर रिजर्व, संरक्षित क्षेत्र व अन्य पर्यटन वन क्षेत्रों में पर्यटकों के बरताव के संबंध में गाइड लाइन बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने इसमें सभी स्टेक होल्डर्स की सलाह लेने के निर्देश दिए।

बैठक में वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक रेणु बिष्ट, अनिल नौटियाल, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल फेनई, सचिव दिलीप जावलकर, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. पराग मधुकर धकाते सहित उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे।

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