एक बेहतर दुनिया का निर्माण करें जहां पर कोई भी हाशिए पर न होः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

Prashan Paheli

ऋषिकेश:  विश्व ब्रेल दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम सभी को मिलकर एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना है जहां पर कोई भी हाशिए पर न हो, सभी को समान अधिकार प्राप्त हो तथा सभी को, चाहे कोई दिव्यांग हो उन्हें भी अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित और विकसित करने का पूरा अवसर प्राप्त हो सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोविड-19 में लाॅकडाउन के दौरान सबसे अधिक परेशानियों का सामना नेत्रहीनों और दिव्यांगों को करना पड़ा। विशेष कर नेत्रहीनों को क्योंकि वे सभी चीजों को छू कर, स्पर्श करके ही पता लगा सकते हैं, कोविड-19 के दौरान सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उन तक जानकारियों को कैसे पहुंचायें। शायद अब तक भी कोविड-19 के विषय में सारी जानकारी बे्रल में उपलब्ध नहीं होगी। हम सब समझ सकते है कि कोविड-19 के विषय में ही नहीं बल्कि अन्य सभी जानकारियां बे्रल प्रारूपों में उपलब्ध कराना कितना जरूरी है।

स्वामी जी ने कहा कि दिव्यांगजन भी हमारे समाज का अहम हिस्सा है परन्तु उन्हें अपनी सामान्य दिनचर्या के लिये भी कई जोखिमों का सामना करना पड़ता है। जिस प्रकार सामान्य जनों की पहुंच डिजिटल माध्यमों तक है उसी प्रकार दिव्यांग जनों की पहुंच भी होनी चाहिये, उनके लिये भी सहजता से उपयोग किये जाने वाले डिजिटल माध्यम होने चाहिये ताकि सूचनाओं का प्रसार सभी तक हो सके। नेत्रहीन और अन्य दिव्यांग जन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये दूसरों पर निर्भर रहते हैं ऐसे में वे अपनी स्वतंत्रता का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर पाते।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज के दिन हम सभी को कुछ पल रूककर सोचना चाहिये कि क्या नेत्रहीनों और दिव्यांग जनों का जीवन सामान्य लोगों की तरह ही हैं?

अगर नही तो हम उनके जीवन को सुगम, सरल ओर स्वतंत्र बनाने के लिये क्या योगदान दें सकते हैं। स्वामी जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि अपने टाइम,  टेलेन्ट, टेक्नालाॅजी और टेनेसिटी का उपयोग कर उन सभी के जीवन में उजाला लाने की कोशिश करें जो 21 वीं सदी के डिजिटल युग में भी अपनी स्वतंत्रता तलाश रहे हैं।

आईये मिलकर कुछ ऐसा करें जिससे सभी का जीवन गरिमामय बन सके। ब्रेल का 19 वीं शताब्दी में फ्रांस के वैज्ञानिक लुई ब्रेल ने आविष्कारक किया था। ब्रेल का उपयोग दृष्टिहीनों द्वारा छू कर पढ़ने के लिए किया जाता है जो कि वर्तमान समय में मुद्रित रूप में उपलब्ध हैं। ब्रेल, प्रत्येक अक्षर और संख्या, संगीत, गणितीय, और वैज्ञानिक प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए छह बिंदुओं का उपयोग करते हुए अल्फाबेटिक और संख्यात्मक प्रतीकों की एक स्पर्श-संवेदनशील प्रणाली है।

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