चंडीगढ़ में बनेगा वायु सेना का हेरिटेज सेंटरए रखे जाएंगे विंटेज विमान

Prashan Paheli

नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना चंडीगढ़ में एक हेरिटेज सेंटर बनाकर अपनी लड़ाकू क्षमताओं के अलावा मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करेगी। यहां विभिन्न तरीके के पुराने विमान भी होंगे। यह हेरिटेज सेंटर भारतीय वायुसेना में करियर बनाने की चाहत रखने वाले युवाओं को प्रेरित करेगा। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी) ने इस हेरिटेज सेंटर की शुरुआत करने के लिए एक विंटेज प्रोटोटाइप विमान ‘कानपुर-1’ उपहार में सौंप दिया है।

वायु सेना के विंग कमांडर आशीष मोघे ने बताया कि वायु सेना का हेरिटेज सेंटर बनाने का ड्रीम प्रोजेक्ट पिछले साल पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने तैयार किया गया था। चंडीगढ़ के सेक्टर 18 में बनने वाले इस हेरिटेज सेंटर में भारतीय वायुसेना के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के लिए कलाकृतियों, सिमुलेटर और इंटरेक्टिव बोर्ड शामिल होंगे। यह वायु सेना की लड़ाकू क्षमताओं के अलावा मानवीय सहायता और आपदा राहत के लिए निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करेगा। इसमें विभिन्न पुराने विमान भी होंगे। यह हेरिटेज सेंटर भारतीय वायुसेना में करियर बनाने के लिए शहर के युवाओं को प्रेरित करने के लिए लंबा रास्ता तय करेगा।

हेरिटेज सेंटर की शुरुआत करने के तौर पर पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज ने एक विंटेज प्रोटोटाइप विमान ‘कानपुर-1’ वायु सेना को उपहार में सौंप दिया है। कॉलेज के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग डिवीजन में इस स्वदेशी विमान को लेने के लिए समारोह आयोजित किया गया था। पश्चिमी वायु कमान मुख्यालय के वरिष्ठ वायु सेना अधिकारी एयर मार्शल आर रदीश ने इंजीनियरिंग कॉलेज के निदेशक प्रो. बलदेव सेतिया से विंटेज प्रोटोटाइप विमान हासिल किया। यह दुर्लभ एकल इंजन वाला विमान 1958 में स्वर्गीय एयर वाइस मार्शल हरजिंदर सिंह ने बेस रिपेयर डिपो कानपुर में डिजाइन और निर्मित किया था। यह विंटेज विमान 1967 में स्वर्गीय सिंह ने पीईसी को उपहार में दे दिया था। ‘कानपुर-1’ को अन्य विमानों के साथ वायु सेना के हेरिटेज सेंटर में प्रदर्शित किया जाएगा। इस विमान को आने वाली पीढ़ियां आत्मनिर्भरता और ‘मेक इन इंडिया’ के सपने के महत्व को समझने के लिए गौरव के क्षण के रूप में देखेंगी।

इस अवसर पर एयर मार्शल आर रधीश ने कहा कि इस विमान के हेरिटेज सेंटर में होने से न केवल विरासत का महत्व होगा बल्कि पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज और भारतीय वायु सेना के बीच मजबूत संबंध भी बनेंगे। उन्होंने कहा कि वह पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के योगदान को देखकर खुश हैं, जहां 1964 में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के पहले बैच के 17 छात्र भारतीय वायु सेना में और कई अन्य बाद में डीजीसीए में शामिल हुए। भारतीय वायु सेना में शामिल होने वालों में एयर वाइस मार्शल एसएस ढिल्लों, एयर वाइस मार्शल पीपीएस कहलों, विंग कमांडर एचडी तलवार, विंग कमांडर एसएस विर्डी, विंग कमांडर आरसी चौधरी और विंग कमांडर एनके कोहली शामिल हैं। वायु सेना पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ सामंजस्य और समझ के अन्य पहलुओं पर काम करेगी जैसे पीईसी के छात्रों के नौकरी प्रशिक्षण और व्यावसायिकता के बंधन को मजबूत करने के लिए औपचारिक संरचना में बातचीत करेगी।

समारोह में वायु सेना के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया जिनमें एयर वाइस मार्शल जीके मोहन, एयर ऑफिसर कमांडिंग, एडवांस मुख्यालय डब्ल्यूएसी; एयर कमोडोर मंसीज लाल, एयर ऑफिसर कमांडिंग, 12 विंग, एयर कमोडोर राजीव श्रीवास्तव, एयर ऑफिसर कमांडिंग, 3 बीआरडी, ग्रुप कैप्टन पीएस लांबा वीएसएम, ओआईसी हेरिटेज सेंटर और ग्रुप कैप्टन वी अनिल कुमार, 1 टीईटीआरए के स्टेशन कमांडर थे। इस अवसर पर पीईसी के अन्य लोगों में डॉ. सिबी जॉन, उप निदेशक, कर्नल (सेवानिवृत्त) आरएम जोशी, रजिस्ट्रार, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के संकाय के सदस्यों के साथ डीन और अन्य विभागों के प्रमुख शामिल थे।

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