50वें जन्मदिन पर आचार्य बालकृष्ण हुए महर्षि वाग्भट्ट सम्मान से अलंकृत

Prashan Paheli
हरिद्वार: पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन और पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में ‘पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आधुनिकीकरणः लोक स्वास्थ्य एवं औद्यौगिक परिप्रेक्ष्य’ विषय पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आयुर्वेद मनीषी आचार्य बालकृष्ण को उनके 50वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हो रहे सम्मेलन में ‘महर्षि वाग्भट्ट सम्मान’ से अलंकृत किया गया। इसके को-पार्टनर नाबार्ड और सोसायटी फॉर कंजर्वेशन एंड रिसोर्स डेवलपमेंट ऑफ मेडिसिनल प्लांट, नई दिल्ली हैं। इस अवसर पर सोसाईटी फाॅर कन्जर्वेशन एण्ड रिसोर्स डेवलपमेंट आफ मेडिशिनल प्लान्ट के अध्यक्ष डाॅ. ए. के. भटनागर, सचिव प्रो. जी. बी. राव ने स्वामी रामदेव को ‘महर्षि सुश्रुत सम्मान’ और आचार्य बालकृष्ण को ‘महर्षि वाग्भट्ट सम्मान’ से सम्मानित किया। साथ ही मेडिशनल प्लान्ट जर्नल के विशेषांक का विमोचन भी हुआ। सम्मेलन में स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि वैभवशाली भारत के साथ-साथ स्वस्थ, सुखी और समृद्ध भारत की रचना के लिए प्रतिबद्ध है। इस दृष्टि से उच्चस्तरीय एवं साक्ष्य आधरित अनुसंधान के क्षेत्र में अब तक आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में पांच लाख से अधिक श्लोकों की रचना और एक लाख से अधिक पृष्ठ वाले विश्व भेषज संहिता का निर्माण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अगर मानव को धरती और धरती पर जीवन को बचाना है तो प्रकृति की ओर लौटना ही होगा। आयुर्वेद शिरोमणि व पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि के विभिन्न आयामों व स्वरूप को पूरा विश्व अनुभव करता है। उन्होंने किसानों को पतंजलि द्वारा जैविक कृषि प्रशिक्षण देने हेतु भारत सरकार के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि अब तक प्रशिक्षित हो चुके 40 हजार किसानों में से 80 प्रतिशत किसानों ने जैविक कृषि पर निर्भर होकर अपनी आय में अप्रत्याशित वृद्धि की है। आयोजन समिति के अध्यक्ष और पी.आर.आई. की वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. वेदप्रिया आर्या ने बताया कि इस सम्मेलन में आनलाइन और आफलाइन 21 देशों के हजारों प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रथम दिवस के सम्मेलन अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द ने कृषि के क्षेत्राें में सुधार और विकास के लिए नवीन तकनीकी पर चर्चा की एवं पतंजलि के योगदान को सराहा। डाॅ. ए.के. भटनागर , डाॅ. वेदप्रिया आर्या ने कृषि विकास तथा ई-आत्मनिर्भर पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर नाबार्ड के प्रो. भास्कर पंत, कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, प्रो. के. आर. धीमान, प्रो. ओ.पी. अग्रवाल, डाॅ. आर. के श्रीवास्तव, डाॅ. पी. के. जोशी एवं डाॅ. अजीत सिंह नैन ने भी अपने महत्वपूर्ण अनुभव प्रतिभागियों से साझा किये। सम्मेलन में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ महावीर अग्रवाल ने स्वागत संबोधन किया। डाॅ. के.एन.एस. यादव , डाॅ. वी.के. कटियार , स्वामी परमार्थदेव, डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय एवं डाॅ. अनुपम श्रीवास्तव की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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