कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की आलोचना करते हुए कहा कि वह प्रदेश भाजपा के “कार्यकारी अध्यक्ष” की तरह व्यवहार कर रहे हैं। तृणमूल ने कहा कि धनखड़ को भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक द्वारा दार्जिलिंग को राज्य से अलग करने की मांग पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। तृणमूल के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि धनखड़ भाजपा की मदद करने के वास्ते “राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई निकाय चुनाव की तैयारियों में खामी खोजने” का प्रयास कर रहे हैं।
घोष ने कहा, “पश्चिम बंगाल चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कोलकाता नगर निगम चुनाव में भाजपा को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसलिए हमारे माननीय राज्यपाल नई दिल्ली में अपने आकाओं के लिए कुछ राजनीतिक लाभ कमाने के वास्ते प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष के जैसा व्यवहार कर रहे हैं।” तृणमूल नेता ने कहा कि भाजपा की हार निश्चित है इसलिए वह बहाने खोज रही है और राज्यपाल उसकी सहायता करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निकाय चुनाव की तैयारियों में कमियां खोजने की कोशिश कर रहे हैं।
घोष ने कहा, “राज्यपाल को अपने पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए।” धनखड़, निकाय चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती पर जोर दे रहे हैं और भाजपा भी इसकी मांग करती रही है। घोष ने कहा, “वह निकाय चुनाव में इतनी रुचि ले रहे हैं३ लेकिन हम जानना चाहते हैं कि दार्जिलिंग को पश्चिम बंगाल से अलग करने की भाजपा विधायक की मांग पर उनकी क्या राय है। हम जानना चाहते हैं कि वह इससे सहमत हैं या नहीं।” तृणमूल नेता ने कहा, “वह इस पर चुप क्यों हैं? अगर वह पश्चिम बंगाल के बारे में इतना ही चिंतित हैं तो उन्हें कहना चाहिए कि वह इस मांग का समर्थन नहीं करते। तृणमूल ने साफ कहा है वह पहाड़ी क्षेत्र के विभाजन के विरुद्ध है।”
घोष ने कुर्सियांग से भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा का हवाला दिया जिन्होंने दार्जिलिंग को राज्य से अलग करने की मांग को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जे पी नड्डा को पत्र लिखा है। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने घोष की टिप्पणी को “निराधार” बताया और कहा कि इससे राज्यपाल के पद का अपमान हुआ है।