देहरादून। जनपद देहरादून में रविवार को पर्वतीय विकलांग सेवा संस्थान की ओर से दिव्यांगों को 150 कंबल, 2 व्हील चेयर व 2 स्टीक( पैर वाली) वितरित की गई। पर्वतीय विकलांग सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संपादक गुलशन बाहरी ने बताया कि शरीर अंग दान सबसे बड़ा दान है। गुलशन बाहरी ने गत अक्टूबर माह में दून मेडिकल कॉलेज में अपना शरीर अंग दान फार्म भरा था उसके बाद गुलशन बाहरी ने सभी दिव्यांगों व आम लोगों से अपील की सभी अपना शरीर अंगदान फार्म जरूर भरें ताकि मरने के बाद भी हमारा शरीर किसी के काम आ सके। अक्टूबर माह से अब तक गुलशन बाहरी के अपील करने से कई लोगों ने शरीर अंगदान फार्म भरा है। वहीं कोविड काल में गुलशन बाहरी की ओर से गरीब व जरूरतमंदों लोगों को राशन व कपड़े भी वितरित किए गए है। आज भी गुलशन बाहरी गरीब व जरूरतमंदो लोगों की हर तरीके से मदद कर रहे है और निरंतर करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि ये लोगों की सोच है कि गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद करने में पैसा खर्च होता है लेकिन ऐसा नहीं है कि आज तक मेरा कोई पैसा खर्च नहीं हुआ है। सब ईश्वर की कृपा है। कार्यक्रम में मौजूद डॉ. पीयूष कुमार ने मृत शरीर के बार में जानकारी देते हुए बताया कि मरने के बाद शरीर को जल्द से जल्द डॉक्टरों को सौंप देनी चाहिए ताकि मृत शरीर के अंग किसी के काम आ सके। मनुष्य के मरने के 6घंटे के भीतर ही शरीर का एक ही अंग काम में लाया जा सकता है। जिसे आंख की कोरनिया कहते है। मृत शरीर का प्रयोग एनआईटी मेडिकल साइंस में किया जाता है। जिससे नए छात्रों को मृत शरीर पर प्रक्टिकल कराकर शरीर के भीतर की जानकारी दी जाती है।उन्होंने कहा कि मृत शरीर को मेडिकल साइंस में ज्यादा से ज्यादा 5 वर्ष तक रखा जाता है।