देहरादून। कहते हैं जिसने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर दिया वो निरन्तर उस लक्ष्य के लिए कार्य करता रहता हैं उसके लिए छुट्टी हो या रविवार वो अपना समय जनहित के कार्यों में लगाता रहता हैं। आज हम ऐसे शख्स की बात कर रहे हैं जो व्यवसाय से शिक्षक हैं और राजकीय इण्टर कालेज मरोड़ा (सकलाना) टिहरी गढ़वाल में प्रवक्ता भूगोल के पद पर कार्यरत हैं छात्रों के सुनहरे भविष्य बनाने के लिए उनके द्वारा ऑफलाइन व ऑनलाइन पढ़ाई का कार्य के साथ-साथ जनहित के कार्यों को उन्होंने अपना लक्ष्य बना लिया है उनका वक्त शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता व जन जन को जागरुक व प्रेरित करने में व्यतीत होता है वो शख्स हैं पर्यावरणविद् डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी। जिन्हें उत्तराखंड में वृक्षमित्र के नाम से जाना जाता है जिन्होंने हरे वस्त्र धारण कर पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन, वृहद पौधारोपण, स्वच्छता, सुंदरता व प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने को अपना जीवन लगाया हुआ है। मरोडा सकलाना में उन्होंने स्वच्छता अभियान चलाकर सड़कांे के किनारे के कूड़ा करकट व गाजर घास उखाड़ कर सफाई की।
पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी कहते हैं हमारा जीवन प्रकृति की देन हैं माता पिता हमारे जीवन के संरक्षक हैं जिस प्रकार की उम्मीदें हमारे माता पिता की हम पर रहती हैं वैसे ही उम्मीदें इस धरती की हम पर भी रहती होगी। प्रकृति की मनुष्य से यही अपेक्षा रहती हैं जो प्राकृतिक संसाधन धरती के लिए दिए हैं जिनका उपभोग मानव द्वारा किया जा रहा है उनका संरक्षण हो ताकि उनका उपभोग आनी वाली पीढ़ी भी कर सकें, लेकिन मनुष्य की भोगवादी प्रवृति उन प्राकृतिक संसाधनों का अनाधुन्द दोहन कर रहा है जिसके आनेवाले समय में गंभीर परिणाम होंगे। मेरा हमेशा से जन जन को जागरूक व प्रेरित करके इन प्राकृतिक संसाधनों को बचाने का प्रयास किया जाता हैं ताकि ये हमारे आनेवाले पीढ़ी के लिए बचे रह सके इसी के तहत हमने आज स्वच्छता अभियान चलाकर सफाई की जिसमे छोटे बच्चों ने प्रतिभाग किया अगर ये बच्चे इस प्रकार के कार्यक्रमों से प्रेरित हो जाते हैं तो ये संस्कार इनकी पीढ़ी में जाएगी जो स्वतः जागरूक व प्रेरित होकर अपना स्वच्छ व सुंदर वातावरण बनायेंगे। उत्तराखंड आंदोलनकारी गिरीश चंद्र कोठियाल ने कहा बदलते परिवेश को देखते अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना जरूरी हैं। वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी द्वारा इस प्रकार के कई नवाचारी कार्य किये जाते हैं जिनका प्रभाव आने वाली पीढ़ी में दिखेगा। अंजली ने गांव को स्वच्छ रखने की अपील की। वहीं अरविंद ने गांव के लोगों से स्वच्छता के लिए आगे आने का आह्वान किया।