भारतीय बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जॉय शाह ने कहा कि धोनी टीम इंडिया के मेंटर के रूप में काम करने के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं ले रहे हैं। धोनी की मेंटरशिप के तौर पर नियुक्ति को लेकर बीसीसीआई सचिव जय शाह ने ट्वीट कर बताया था।
नयी दिल्ली। टी20 विश्व कप का अभियान कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा। भारत का पहला मुकाबला पाकिस्तान के साथ है। भारत ने अपने 15 सदस्य टीम का ऐलान भी कर दिया है। इसके साथ ही महेंद्र सिंह धोनी को टीम का मेंटर बनाया गया है। महेंद्र सिंह धोनी के मेंटरशिप को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए थे। हितों के टकराव की शिकायत पर की गई थी। इन सब के बीच धोनी ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वह सबसे अलग और जुदा कैसे हैं। दरअसल धोनी अपने मेंटरशिप के लिए एक पैसे भी नहीं लेंगे। यह अपने आप में धोनी की सराहनीय पहल मानी जा रही है। इसके साथ ही धोनी के फैंस उनकी वाहवाही कर रहे हैं।
भारतीय बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जॉय शाह ने कहा कि धोनी टीम इंडिया के मेंटर के रूप में काम करने के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं ले रहे हैं। धोनी की मेंटरशिप के तौर पर नियुक्ति को लेकर बीसीसीआई सचिव जय शाह ने ट्वीट कर बताया था। इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी और जय शाह के बीच लंबी मुलाकात हुई थी। भले ही यह आधिकारिक तौर पर ना कहा गया हो, लेकिन यह बात तो तय था कि बीसीसीआई को विश्व कप में मौजूदा भारतीय टीम प्रबंधन पर पर्याप्त भरोसा नहीं था। यही कारण था कि उसे महेंद्र सिंह धोनी की जरूरत पड़ी। बोर्ड को एक दिमागी हथियार की जरूरत थी और इसी कारण महेंद्र सिंह धोनी के नियुक्ति हुई थी।
भारतीय टीम के मार्गदर्शक (मेंटोर) के तौर पर धोनी नियुक्ति के खिलाफ एक शिकायत हुई है जिसमें लोढा समिति की सिफारिशों के हितों के टकराव के नियमों का हवाला दिया गया है। मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के पूर्व आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता ने शीर्ष परिषद के सदस्यों को एक पत्र भेजा है कि धोनी की नियुक्ति हितों के टकराव के नियमों का उल्लघंन है जिसमें एक व्यक्ति दो पदों पर काबिज नहीं हो सकता। धोनी इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान भी हैं। गुप्ता पहले भी खिलाड़ियों और प्रशासकों के खिलाफ हितों के टकराव की कई शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। इससे पहले राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली भी संजीव गुप्ता के रडार पर आ चुके हैं।