गुजरात यदि प्रगति की राह पर था तो मुख्यमंत्री क्यों बदला गयाः शिवसेना

Prashan Paheli

मुंबई। शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि गुजरात में अचानक नेतृत्व परिवर्तन कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को नया मुख्यमंत्री बनाने के घटनाक्रम ने कामकाज की उस शैली को प्रतिबिंबित किया है जो आम तौर पर कांग्रेस से जुड़घ्ी हुई है। पार्टी ने साथ ही दावा किया कि ‘‘गुजरात के विकास मॉडल का गुब्बारा बुलबुले की तरह फूट गया है।’’ शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि गुजरात के लोग कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य प्रणाली के ‘‘ध्वस्त’’ होने पर बेहद गुस्से में थे जब विजय रूपाणी मुख्यमंत्री थे।

इसमें कहा गया है कि भाजपा को भी यह एहसास हुआ कि पटेल प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, यह समुदाय पार्टी से नाराज है जिसके चलते इस पड़ोसी राज्य में शीर्ष स्तर पर यह बदलाव किया गया। भाजपा की पूर्व सहयोगी एवं अब महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के साथ सत्ता साझा कर रही शिवसेना ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘यही चीज कांग्रेस में भी होती है और हमें इसे लोकतंत्र कहना होगा।’’ संपादकीय में दावा किया गया है कि अचानक नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही ‘‘लोकतंत्र का, राज-काज व विकास के गुजरात मॉडल का गुब्बारा किसी बुलबुले की तरह अचानक फट गया है।’’ समाचार पत्र के संपादकीय में सवाल किया गया है, ‘‘पटेल पिछले चार साल में मंत्री भी नहीं रहे हैं, लेकिन उन्हें सीधे मुख्यमंत्री बना दिया गया। गुजरात राज्य यदि विकास, प्रगति के मार्ग पर आगे जा रहा था तो इस तरह से रातों-रात मुख्यमंत्री बदलने की नौबत क्यों आयी?’’ इसमें कहा गया है, ‘‘जब किसी राज्य को विकास अथवा प्रगति का ‘मॉडल’ साबित करने के लिए उठापटक की जाती है, तब अचानक नेतृत्व बदलने से लोगों के मन में संदेह पैदा होता है।

भूपेंद्र पटेल पर अब गुजरात का भार आ गया है। अगले वर्ष दिसंबरमें विधानसभा चुनाव हैं। पटेल को आगे रखकर नरेंद्र मोदी को ही लड़ना होगा। जिसे गुजरात मॉडल कहा जा रहा है, वह यही है क्या?’’ संपादकीय में लिखा गया है कि पटेल गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के करीबी हैं, जबकि रूपाणी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का समर्थन प्राप्त था। ‘‘गुजरात में कल की राजनीति जितनी उलझनों वाली होगी, उतनी ही रोचक होगी।’’ इसमें लिखा है, ‘‘अहमदाबाद के पास स्थित, फोर्ड वाहन बनाने वाली कंपनी सहित कुछ बड़ी कंपनियों ने बोरिया-बिस्तर बांध लिया और हजारों लोगों पर बेरोजगारी का संकट आ गया। पूरे गुजरात में किसान, मजदूर, बेरोजगार युवक आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं जिसका असर चुनाव में होगा। यह भांप कर ही मुख्यमंत्री रूपाणी को हटा कर भूपेंद्र पटेल को नियुक्त किया गया। यह सिर्फ रंगाई-पोताई ही है।’’

शिवसेना के मुखपत्र में प्रकाशित संपादकीय में लिखा है, ‘‘कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गांवों-गांवों में मृतकों की चिताएं जलती रहीं, सरकार बेबस व हताश होकर मृत्यु का तांडव देख रही थी। इसका संताप लोगों में था और है ही।’’ संपादकीय में लिखा है, ‘‘चकाचैंध से दूर रहने वालों को सत्ता देना, यही मोदी की राजनीति का तंत्र है। गुजरात में वही हुआ। मोदी ने कई बार अचानक नए चेहरों को मौका दिया है। महाराष्ट्र में भी उन्होंने (2014 के विधानसभा चुनाव के बाद) देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देकर ‘झटका’ दिया था।’’ संपादकीय में दावा किया गया है कि पटेल गुजरात के पाटीदार समुदाय से आते हैं, जो भाजपा से नाराज है।

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