वितरण के क्षेत्र में निजी एकाधिकार का संरक्षण क्यों करना चाहती हैं: आरके सिंह

Prashan Paheli

नई दिल्ली। विद्युत संशोधन विधेयक 2021 को लेकर एक बार फिर से मोदी सरकार और ममता बनर्जी आमने-सामने है। हाल में ही ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विद्युत संशोधन विधेयक को लेकर एक पत्र लिखा था और इस योजना का विरोध किया था। ममता ने नए संशोधनों को जन विरोधी करार दिया था। इसी को लेकर अब केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है। इस पत्र में विद्युत संशोधन विधेयक 2021 का विरोध करने पर ममता की मंशा को लेकर उन्होंने संदेह जताया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र में, बिजली मंत्री राजकुमार सिंह ने सवाल किया कि वह कोलकाता में बिजली वितरण में एक निजी कंपनी के एकाधिकार को बचाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। सिंह ने बनर्जी को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘कोलकाता में निजी वितरण कंपनी की शुल्क दरें देश में सबसे अधिक है और उसका एकाधिकार है। अगर प्रस्तावित संशोधन होता है तो कंपनी को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। आप क्यों प्रतिस्पर्धा से इस कंपनी को बचाना चाहती है, यह स्पष्ट नहीं है।’’

विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किये जाने को लेकर सूचीबद्ध था लेकिन इसे पेश नहीं किया गया। विधेयक में देश में बिजली वितरण कारोबार को लाइसेंस मुक्त करने का प्रावधान किया गया है। एक बार विधेयक के कानून बन जाने पर, बिजली वितरण को लाइसेंस से मुक्त कर दिया जाएगा और उपभोक्ताओं के पास दूरसंचार क्षेत्र की तरह बिजली आपूर्ति सेवा प्रदाताओं को चुनने का विकल्प होगा। विधेयक का उद्देश्य बिजली वितरण क्षेत्र में निजी और सरकारी एकाधिकार को समाप्त करना है। मंत्री ने पत्र में यह भी कहा है कि प्रस्तावित विधेयक के अमल में आने के बाद भी एक के बल पर दूसरे को सब्सिडी (क्रास सब्सिडी) की व्यवस्था बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति के लिये एक क्षेत्र में एक से अधिक सेवा प्रदाता कोई नया नहीं है। यह मुंबई में पहले से है। सिंह ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत वितरण कंपनी की बिल को लेकर दक्षता केवल 81.43 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 85.36 प्रतिशत है। कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान 20.40 प्रतिशत है।

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