नई दिल्ली। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है। कैबिनेट विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। इस महकमे का काम ही देश की हवाई सीमाओं में होने वाले कामों के निर्धारण का होता है। पहले तो हवाई जहाजों तक ही ये सीमित था लेकिन अब ड्रोन के भी इसके दायरे में आने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों का काम बढ़ गया है।
भारत को 2030 तक ड्रोन प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य
नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार का लक्ष्य देश को 2030 तक ड्रोन प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बनाना है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत इस क्रांति में अग्रणी बनने जा रहा है। हमारा लक्ष्य भारत को 2030 तक ड्रोन प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बनाना है। ’’ उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ऐसा तीन कारणों से काफी संभव है। एक, हमारी इंजीनीयरिंग प्रतिभा। दूसरा, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी मजबूती।तीसरा, हमारी युवा आबादी। भारत की 70 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम आयु की है। ’’ इससे पहले, उन्होंने यहां विकारबाद के पास ‘मेडिसींस फ्रॉम द स्काई’ परियोजना की शुरूआत की, जिसके तहत ड्रोन के जरिए दवाइयां और टीके पहुंचाए जाएंगे।
सहूलियत लाने की क्षमता रखती है ड्रोन टेक्नोलॉजी
ड्रोन तकनीक सभी की जिंदगी में कई सुविधाएं लाने की क्षमता रखती है। जिसको लेकर नियम भी बना दिए गए हैं और उड़ान मार्ग भी निर्धारित किए जाएंगे। कृषक जगत के ड्रोन से संबंधित सवाल पर सिंधिया ने एक बार कहा भी था कि कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी प्रधानमंत्री के दिल के साथ जुड़ा मुद्दा है। जिस तरह से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ने पूरे विश्व की कार्य प्रणाली को बदल कर रख दिया, वैसे आने वाले दशक में ड्रोन टेक्नोलॉजी हमारी-आपकी जिघ्ंदगी में सहूलियत लाने की क्षमता रखती है।
कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि आने वाले पांच सालों में देश में लाखों की संख्या में पंजीकृत ड्रोन होंगे जो देश के सिस्टम को और अधिक रफ्तार देने का काम करें। कोई भी डिलीवरी सड़क पर चलकर आने की बजाय हवा में उड़ते हुए होगी तो इसकी रफ्तार भी तेज होगी। ऐसे में इसका श्रेय और किसी को नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जाता है।