नई दिल्ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। नरेंद्र मोदी ऐसा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। यह बैठक अपने आप में काफी अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक में वर्चुअल माध्यम से नरेंद्र मोदी समुद्री सुरक्षा पर एक खुले चर्चा की अध्यक्षता करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व राजदूत सैयद अकबरुद्दीन के मुताबिक 75 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है जब भारत यूएनएससी की बैठक की अध्यक्षता देश का प्रधानमंत्री करेगा।1 अगस्त को ही भारत के पास यूएनएससी के अध्यक्षता आई है और पूरे अगस्त महीने तक यह भारत के पास ही रहेगा।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में से एक है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद। यह दुनिया में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने का काम करता है। इसके अलावा देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बहाल करना इसकी अहम जिम्मेदारियों में से एक है। विश्व युद्ध के बाद दुनिया में अशांति का माहौल था। इसके बाद एक ऐसी संस्था की मांग उठने लगी जो शांति और सुरक्षा की दिशा में काम कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थापना हुई थी। सुरक्षा परिषद की पहली बैठक 17 जनवरी 1946 को हुई थी। तब यूएनएससी के 11 सदस्य थे लेकिन 1965 में से बढ़ाकर 15 कर दिया गया।
सुरक्षा परिषद में शामिल 15 देशों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। एक स्थाई सदस्य और एक अस्थाई सदस्य। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन स्थाई सदस्य हैं जिनके पास वीटो पावर होता है। वह अपने वीटो पावर का इस्तेमाल कर किसी भी प्रस्ताव पर रोक लगा सकते है। अस्थाई सदस्य में 10 देश शामिल हैं। इनका चयन क्षेत्रों के आधार पर किया जाता है। अफ्रीका और एशिया से पांच, पूर्वी यूरोपीय देशों से 1, लेटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों से 2 और पश्चिमी यूरोपीय और अन्य 2 देशों से होते हैं। भारत अब तक यूएनएससी का स्थाई सदस्य नहीं बन सका है। वह स्थाई सदस्य बनने का प्रयास तो लगातार करता है। परंतु चीन उसमें बड़ा रोड़ा है।
चीन को इस बात का डर हमेशा रहता है कि अगर भारत यूएनएससी का स्थाई सदस्य बनेगा तो उसके समकक्ष आ जाएगा। वर्तमान माहौल में देखे तो चीन और भारत के बीच सीमा विवाद भी एक बड़ा मुद्दा है। अगर भारत यूएनएससी का सदस्य बना तो दक्षिण एशिया से चीन का वर्चस्व खत्म होने लगेगा। भारत का विरोध कर चीन पाक को भी साधने की कोशिश करता है। चीन और पाकिस्तान दोनों से ही भारत का सीमा विवाद है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि इस बैठक में यूएनएससी के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों तथा संयुक्त राष्ट्र प्रणाली एवं प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों के उच्च स्तरीय विशेषज्ञों के भाग लेने की उम्मीद है। इस परिचर्चा में समुद्री अपराध और असुरक्षा का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने तथा समुद्री क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा। पीएमओ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली परिचर्चा की अध्यक्षता करने वाले नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। पीएमओ ने बताया कि यूएनएससी ने समुद्री सुरक्षा और समुद्री अपराध के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की है और कई प्रस्ताव पारित किए हैं। हालांकि, यह पहली बार होगा जब उच्च स्तरीय खुली बहस में एक विशेष एजेंडा के रूप में समुद्री सुरक्षा पर समग्र रूप से चर्चा की जाएगी। पीएमओ ने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी देश अकेले समुद्री सुरक्षा के विभिन्न आयामों से जुड़ी समस्यायों का समाधान नहीं कर सकता है, इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समग्र रूप से विचार करना महत्वपूर्ण है।