मानसून के बाद प्रदेश में आपदा से हुए भारी नुकसान का जायजा लेने मंगलवार (आज) को केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम उत्तराखंड पहुंचेगी। टीम यहां 11 अगस्त तक रहेगी। इस दौरान केंद्रीय टीम हरिद्वार जिले का दौराकर जलभराव से हुए नुकसान का जायजा लेगी। शासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर टीम अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगी। सोमवार को इस बाबत आपदा प्रबंधन सचिवच डाॅ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सचिवालय में संबंधित विभागों के अफसरों की बैठक ली और आपदाओं के कारण हुए क्षति की समीक्षा की। उन्होंने तुलनात्मक अध्ययन के लिए सभी विभागों को प्रत्येक मानसून अवधि में हुई क्षति का वर्षवार डाटा तैयार करने के निर्देश दिए। इसके अलावा कृषि विभाग को आपदाओं के कारण फसलों की उत्पादकता क्षरण के अध्ययन के भी निर्देश दिए।
डॉ. सिन्हा ने बताया कि वर्तमान मानसून अवधि में राज्य में अतिवृष्टि, बाढ़ और अन्य आपदाओं के कारण भारी क्षति हुई है। क्षति का आकलन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गठित अंतर मंत्रालय स्तरीय केंद्रीय टीम आठ से 11 अगस्त के मध्य उत्तराखंड के दौरे पर रहेगी। टीम का हरिद्वार दौरा भी प्रस्तावित है। उन्होंने बताया, सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि इस मानसून अवधि में हुए सभी प्रकार के नुकसान का श्रेणीवार विवरण और सटीक डाटा शासन को उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने सभी विभागों को प्रत्येक मानसून अवधि में हुई क्षति का वर्षवार डाटा भी तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके।
उन्होंने बताया, केंद्रीय टीम शासन में मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों के साथ भी बैठक करेगी। इस बैठक में केंद्रीय टीम को राज्य में आपदा के बाद हुए नुकसान के बारे में अवगत कराया जाएगा। बैठक में अपर सचिव सविन बंसल, नवनीत पांडेय, डाॅ. अमनदीप कौर और कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। केंद्र से करेंगे गाइडलाइन में बदलाव का अनुरोध सचिव आपदा प्रबंधन डाॅ. सिन्हा ने कहा, उत्तराखंड आपदाओं वाला प्रदेश है। केंद्र सरकार से आपदा प्रबंधन से संबंधित गाइडलाइन में बदलाव का अनुरोध किया जाएगा। इसके लिए शीघ्र ही वार्ता की जाएगी। इस बाबत उन्होंने सभी विभागों से सुझाव मांगे हैं। उन्होंने विशेषकर कृषि विभाग को आपदाओं के कारण फसलों की प्रोडेक्टिविटी लॉस के अध्ययन के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में भारी बारिश से सबसे अधिक नुकसान सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने से हुआ है। अब तक 2,749 सड़कें भूस्खलन की चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हुई हैं, जबकि 63 पुलों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा कुछ सरकारी भवनों को भी नुकसान पहुंचा है। सड़कों, पुलों और भवनों को ठीक करने के लिए अब तक 36,742.85 लाख रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है।
हरिद्वार में हुआ फसलों का सबसे अधिक नुकसान
प्रदेश में भारी बारिश से फसलों को भी नुकसान पहुंचा है। जलभराव के कारण 8582.28 हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसल बर्बाद हुई है। वहीं, 38.18 हेक्टेयर भूमि या तो बह गई है या भूस्खलन की चपेट में आकर बर्बाद हो गई है। सबसे अधिक नुकसान हरिद्वार में हुआ है। यहां 8507 हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसल बर्बाद हुई है।