उत्तराखंड में एकल महिला-पुरुष सरकारी कर्मचारी को भी मिलेगी चाइल्ड केयर लीव

Prashan Paheli
देहरादून: उत्तराखंड सरकार की महिला कर्मचारी व महिला-पुरुष एकल कर्मचारी संतान की बीमारी अथवा परीक्षा आदि में देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल में दो वर्ष यानी 730 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश ले सकेंगे। उत्तराखंड सरकार के एकल महिला एवं पुरुष अभिभावक कर्मचारी भी अब बाल्य देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) के हकदार हो गए हैं। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लगी। बृहस्पतिवार को सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने इसका आदेश जारी कर दिया। एकल पुरुष अभिभावक में वे सभी कर्मचारी आएंगे जो अविवाहित या विधुर या तलाकशुदा हैं और जिनके एक बच्चे की जिम्मेदारी अकेले उनके कंधों पर है।
जारी आदेश के मुताबिक, राज्य सरकार की महिला कर्मचारी व महिला-पुरुष एकल कर्मचारी संतान की बीमारी अथवा परीक्षा आदि में देखभाल के लिए संपूर्ण सेवाकाल में दो वर्ष यानी 730 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश ले सकेंगे। यह अवकाश 18 वर्ष की आयु तक केवल दो बड़े जीवित बच्चों के लिए मान्य होगा। 40 प्रतशित या उससे अधिक विकलांग बच्चों के मामले में आयु सीमा का कोई प्रतिबंध नहीं होगा। यह अवकाश उपार्जित अवकाश की तरह स्वीकृत किया जाएगा और इसकी तर्ज पर इसका खाता रखा जाएगा।
जनहित और प्रशासकीय कार्यों के लिए नियुक्ति प्राधिकारी किसी कर्मचारी को एक बार में पांच दिनों से कम व 120 दिनों से अधिक अवधि का अवकाश मंजूर नहीं करेगा। एकल महिला सरकारी कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में अधिकतम छह बार व अन्य पात्र महिला-पुरुष कर्मचारी को एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार अवकाश मिलेगा। 365 दिन के अवकाश का उन्हें पूरा वेतन मिलेगा। अगले 365 दिनों में उन्हें मंजूर अवकाश का 80 प्रतिशत ही वेतन दिया जाएगा।
परिवीक्षाकाल (प्रोबेशन) में रहने के दौरान कर्मचारी बाल्य देखभाल अवकाश के हकदार नहीं होंगे, लेकिन जिन विभागों की सेवा नियमावली में प्रोबेशन पीरियड के दौरान बाल्य देखभाल अवकाश की व्यवस्था है, वहां यह तीन महीने से अधिक नहीं दिया जा सकेगा। गुण-दोष के आधार पर कम भी हो सकता है।
आईएएनएस
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