ऐसे करें नरक निवारण चतुर्दशी व्रत

Prashan Paheli
धर्म: माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से जानी जाती है। नरक की यातना और पाप कर्मों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए एवं स्वर्ग में सुख और वैभव की कामना तथा स्वर्ग में अपने लिए स्थान पाने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत बहुत ही फलदायी है। इस बार अमृत योग में 20 जनवरी को नरक निवारण चतुर्दशी व्रत रखा जा रहा है। माना जाता है कि इस योग में व्रत करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होंगे, साथ ही अमृतत्व की प्राप्ति होगी। नरक निवारण चतुर्दशी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जानिए नरक निवारण चतुर्दशी के बारे में सबकुछ। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन कुंडेश्वर भगवान एवं कपिलेश्वर भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई थी। नरक निवारण चतुर्दशी का माहात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्र नाथ मिश्र के अनुसार, ‘शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि के समान खास है, लेकिन उनमें माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी शिव को सबसे अधिक प्रिय है। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक निवारण चतुर्दशी है। इस दिन व्रत रखकर जो व्यक्ति भगवान शिव सहित पार्वती और गणेश की पूजा करता है उन पर शिव प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को चढ़ाएं बेलपत्र आचार्य ने आगे बताया कि नरक जाने से बचने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और खासतौर पर बेर जरूर चढ़ाना चाहिए। शिव का व्रत रखने वाले को पूरे दिन निराहार रहकर शाम में पारण (व्रत खोलना) करना चाहिए। व्रत खोलने के लिए सबसे पहले बेर का प्रसाद खाएं। इससे पाप कट जाते हैं और व्यक्ति स्वर्ग में स्थान पाने का अधिकारी बनता है। साथ ही आचार्य ने कहा कि अध्यात्म के लिए तो व्रत जरूरी है ही, लेकिन व्रत के साथ यह भी प्रण करें कि मन, वचन और कर्म से जान बूझकर कभी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। क्योंकि भूखे रहने से नहीं नियम पालन से पूरा होता है। –ऐसे करें भगवान शिव की पूजा नरक निवारण चतुर्दशी के दिन प्रदोष काल में अर्थात सूर्यास्त समय में भगवान शिव का विधिवत स्नान कराकर षोडशोपचार विधि-विधान से पूजन करने से समस्त प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं। संध्या काल में किसी भी शिवालय में जाकर दूध, दही, घृत, मधु, गुड, पंचामृत, भांग, गुलाब जल, गन्ना रस आदि पदार्थों के द्वारा अक्षत, चंदन, पुष्प, पुष्प माला, दूर्वा, बिल्वपत्र आदि के द्वारा शिवलिंग के ऊपर विधि विधान से पूजन करने से समस्त प्रकार के मनोरथों की प्राप्ति होती है।
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