देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का धरना शुक्रवार को 12वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान कर्मियों ने प्रधानमंत्री मोदी की माता के देहांत पर दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की। साथ ही, राष्ट्रपति को पत्र लिखकर न्याय न मिलने की स्थिति में इच्छा मृत्यु के लिए अनुमति मांगी है। कार्मिकों ने पत्र में लिखा कि उत्तराखंड राज्य गठन के समय से ही विधानसभा सचिवालय में हुई सभी भर्तियां अवैध है।
परन्तु कार्रवाई केवल वर्ष 2016 एवं 2021 में नियुक्त कार्मिकों पर ही की गई है। वर्ष 2000 से 2015 तक के कार्मिकों को केवल इसलिए बचा लिया गया कि वह लोग नियमित हो चुके है। हटाए गए कार्मिकों में कई कार्मिक विकलांग या विधवा हैं तथा कई कार्मिक ओवर ऐज हो चुके है जिस कारण सबके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो चुका है। अपने परिवार का भरण पोषण नहीं कर पा रहे है। तिल-तिल के मरने से अच्छा है कि एक बार में ही मृत्यु प्राप्त हो जाए।
धरना व प्रदर्शन के दौरान, बर्खास्त कार्मिकों के बच्चों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को नये साल की शुभकामना के ग्रीटिंग भी पोस्ट किए गए। बच्चों ने अपने भविष्य के लिए माता-पिता की नौकरी की बहाली हेतु ग्रीटिंग के माध्यम से पुनर्विचार हेतु आग्रह किया। धरने के दौरान कई छात्र संगठनों ने धरने का समर्थन किया। छात्र संगठन द्वारा कहा गया कि अगर जरूरत पड़ेगी तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर न्याय की लड़ाई में बर्खास्त कर्मचारियों के साथ उनकी आवाज को बुलंद करेगें।
धरना व प्रदर्शन के दौरान गीता नेगी, सरस्वती कठैत, प्रतिभा, रिशु सूर्या, मयंक रावत, सुरेंद्र रौतेला, आशीष शर्मा, कौशिक, कुलदीप सिंह, दीप भट्ट, हिमांशु पांडे एवं समस्त बर्खास्त कर्मचारी मौजूद रहे।