देहरादून: देश में चर्चा का विषय बने उत्तराखंड के मदरसे भी सर्वेक्षण की जद में हैं। प्रदेश सरकार ने इस संदर्भ में सर्वेक्षण का निर्णय लिया है। इसका कारण मान्यता प्राप्त मदरसों से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का होना है। सरकार के पास इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का कोई आंकड़ा नहीं है।
इस संदर्भ में वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने शनिवार को एक चर्चा के दौरान कहा कि प्रदेश में लगभग 500 से अधिक ऐसे मदरसे है जिन्होंने मान्यता ही नहीं ली है। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के पास जिन मदरसों ने मान्यता ली है उनमें उनकी संख्या 420 है। जिनमें से एक की मान्यता निरस्त कर दी गई है जबकि चार मदरसों की मान्यता को अनियमितता के कारण निरस्त किया गया है। दूसरी ओर 12 मदरसों ने मान्यता के लिए आवेदन किया है।
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के अनुसार सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त मदरसे हरिद्वार में है जिनकी संख्या 259 है जबकि ऊधमसिंह नगर के 113, देहरादून में 31, नैनीताल में 14, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चम्पावत में एक-एक मदरसा मान्यता प्राप्त है। शादाब शम्स बताते हैं कि उत्तराखंड के मदरसों के सर्वेक्षण का संचालकों ने स्वागत किया है। मुस्लिम समाज से जुड़े कई लोग सरकार के सर्वेक्षण के पक्ष में है। इन मदरसों में अब एनसीईआरटी की पुस्तकों को पढ़ाना होगा और धार्मिक शिक्षा के लिए समय निश्चित किया जाएगा। वक्फ बोर्ड ने अपने अधीन चल रहे 10 मदरसों को मॉडल मदरसा बनाने का निर्णय लिया है लेकिन राजनीतिक रूप से इस मुद्दे पर अन्य दलों के नेता रोटियां सेकने का काम कर रहे हैं जिसके कारण राजनीति गहराई हुई है।