‘मन की बात’ में बोले प्रधानमंत्री- अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा अभियान में दिखी देश की सामूहिक शक्ति

Prashan Paheli
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के विशेष अवसर हर घर तिरंगा अभियान के दौरान पर हमने देश की सामूहिक शक्ति को देखा। प्रधानमंत्री ने हर घर तिरंगा अभियान के दौरान प्रदर्शित उत्साह और देशभक्ति की सराहना करते हुए कहा कि आजादी के इस महीने में देश के कोने-कोने में ‘अमृत महोत्सव’ की ‘अमृत धारा’ बह रही है। अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त के इस महीने में आप सभी के पत्रों, संदेशों और कार्ड ने मेरे कार्यालय को तिरंगामय कर दिया । मुझे ऐसा शायद ही कोई पत्र मिला हो, जिस पर तिरंगा न हो, या तिरंगे और आजादी से जुड़ी बात न हो। बच्चों ने, युवा साथियों ने तो अमृत महोत्सव पर खूब सुंदर-सुंदर चित्र, और कलाकारी भी बनाकर भेजी है। उन्होंने कहा कि आजादी के इस महीने में हमारे पूरे देश में, हर शहर, हर गांव में, अमृत महोत्सव की अमृतधारा बह रही है। अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक चेतना की अनुभूति हुई है। इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया। तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर, लोग खुद आगे आए। उन्होंने कहा कि लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग प्रगतिशील विचार भी निकाले। जैसे युवा साथी, कृशनील अनिल जो एक पज्जल आर्टिस्ट हैं और उन्होंने रिकॉर्ड समय में खूबसूरत तिरंगा मोजेक आर्ट तैयार की है। कर्नाटक के कोलार में लोगों ने 630 फीट लम्बा और 205 फीट चौड़ा तिरंगा पकड़कर अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया। असम में सरकारी कर्मियों ने दिघालीपुखुरी वार मेमोरियल में तिरंगा फहराने के लिए अपने हाथों से 20 फीट का तिरंगा बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंदौर में लोगों ने मानव शृंखला के जरिए भारत का नक्शा बनाया। चंडीगढ़ में युवाओं ने विशाल मानव तिरंगा बनाया। ये दोनों ही प्रयास गिनीज रिकॉर्ड में भी दर्ज किए गए हैं। इस सबके बीच हिमाचल प्रदेश की गंगोट पंचायत से एक बड़ा प्रेरणादायी उदाहरण भी देखने को मिला। यहां पंचायत में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में प्रवासी मजदूरों के बच्चों को मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव के ये रंग, केवल भारत में ही नहीं, बल्कि, दुनिया के दूसरे देशों में भी देखने को मिले। बोत्स्वाना में स्थानीय गायकों ने भारत की आजादी के 75 साल मनाने के लिए देशभक्ति के 75 गीत गाए। इसमें और भी खास बात ये है, कि ये 75 गीत हिन्दी, पंजाबी, गुजराती, बांग्ला, असमिया, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत जैसी भाषाओं में गाये गए। नामीबिया में भारत- नामीबिया के सांस्कृतिक-पारंपरिक संबंधों पर विशेष स्टैम्प जारी किया गया। इस अवसर पर जो भारतीय विदेशों में थे, वो भी किसी से पीछे नहीं रहे। भारत के आठ पर्वतारोहियों ने आजादी के 75 वर्ष मनाने के लिए यूरोप की दो बड़ी पर्वतचोटियों को 24 घंटे में फतेह किया। इनमें से एक तो यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस है। हम कहीं भी हों, देश के लोगों की ये भावना हमें निरंतर आगे बढ़ने का हौसला देती है।
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