हरिद्वार: बोल-बम के उद्घोष से शहर गूंज रहा है। कंधे पर कांवड़ लिए शिवभक्त बोल-बम, बम-बम के जयकारे लगाते हुए गंतव्य की ओर रवाना हो रहे हैं। एक से एक सजी हुई कांवड़ से शहर में केसरिया बयार बह रही है। कांवड़ पटरी पर आस्था का सैलाब उमड़ने लगा है।
वहीं, आस्था के कई रंग कांवड मेले में देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली से एक दंपती मन्नत पूरी होने पर कांवड़ लेने हरिद्वार पहुंची। दंपती ने भोले बाबा से पुत्र प्राप्ति की मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई। माता-पिता के साथ पुत्र भी दर्शन करने पहुंचा।
कांवड़ियों के बीच दिल्ली मवानापुर निवासी रिंकू अपने परिवार के साथ शनिवार देर रात कांवड़ लेने हरिद्वार पहुंचे। इसके बाद वह रविवार को अपने परिवार के साथ जल लेकर रवाना हो गए। रिंकू और उनकी पत्नी भावना ने बताया कि उनकी तीन पुत्रियां हैं। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए पांच वर्ष पूर्व भोले बाबा के दरबार में हाजिरी लगाकर मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई है। बताया कि आज उनकी तीन पुत्रियों के साथ दो पुत्र भी हैं। कांवड़ यात्रा में शिवभक्ति के संग-संग देशभक्ति का रंग देखने को मिल रहा है। मंदिरों की सुंदर कांवड़ इस बार आकर्षण का केंद्र बन रही है। देश के विभिन्न राज्यों से धर्मनगरी पहुंच रहे कांवड़िए गंगाजल भरकर बम-बम भोले के जयकारों के साथ अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। रविवार को सबसे ज्यादा साढ़े छह लाख शिवभक्त गंगाजल भरकर अपने प्रदेशों के लिए रवाना हुए। श्रावण मास की कांवड़ यात्रा में धर्मनगरी शिवभक्तों से गुलजार है। गंगा घाटों से लेकर मंदिरों में कांवड़िए ही नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों से कांवड़िए हरकी पैड़ी पर गंगाजल भरने पहुंच रहे हैं। हरकी पैड़ी पर गंगाजल भरने के बाद पूजा अर्चना कर वे पैदल रवाना हो रहे हैं। इसके साथ ही कांवड़ के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। इस बार कांवड़िए कांवड़ के रूप में देशभक्ति से सराबोर कांवड़ लेकर जा रहे हैं तो भगवान राम का मंदिर, केदारनाथ मंदिर, मलिकार्जुन, काशी विश्वनाथ मंदिर और नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के प्रतिरूप की कांवड़ भी लेकर जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रसिद्ध मंदिरों के प्रतिरूप वाली इस तरह की कांवड़ तैयार की जा रही हैं। ये कांवड़ बैरागी कैंप, पंतदीप और चमगादड़ टापू आदि में बनाई जा रही हैं। गौतमबुद्ध नगर से हरिद्वार पहुंचे कांवड़ियों का कहना है कि वर्ष 2013 में उन्होेंने भगवान पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिरूप की कांवड़ के साथ यात्रा की थी। इसके बाद से वे लगातार हर साल कांवड़ लेने आ रहे हैं। उन्होंने इस बार प्रण लिया था कि अगर राम मंदिर का निर्माण होता है तो वे भगवान राम के मंदिर की प्रतिरूप की कांवड़ लेकर जाएंगे।