देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सहित अन्य विपक्षी विधायकों ने शुक्रवार को सदन में बिजली कटौती पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही से पूरा प्रदेश अघोषित बिजली संकट से जूझ रहा है। ऊर्जा प्रदेश होने के बाद भी हम बिजली खरीदने को विवश हैं।
नेता प्रतिपक्ष आर्या ने नियम 58 के तहत चर्चा के दौरान सदन में कहा कि राज्य में 14 जून को 3 मिलियन की बिजली कटौती हुई। कुल जरुरतों की 65 प्रतिशत उपलब्धता सरकार के पास है। बिजली खुले बाजारों से 35 प्रतिशत खरीदी जा रही है। यह चर्चा का विषय है। उद्योग धंधों में काम बंद ठप है। राज्य में बिजली कटौती से बड़ी संख्या में लोगों में बेरोजगारी बढ़ रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ऊर्जा निगमों में पद खाली हैं। तकनीकी अधिकारियों के पद खाली होने से राज्य को नुकसान हो रहा है। ऐसा लग रहा है सरकार भविष्य में इन निगमों को बेच देगी। महंगी बिजली खरीदने को सरकार मजबूर है। राज्य की बिजली पर पहला अधिकार राज्य का लेकिन सरकार 20 रुपये प्रतियूनिट बिजली खरीद रही है। केंद्र सरकार की सेलिंग लिमिट के बाद 12 रुपये में बिजली खरीदी गई। यह राज्य के लिए चिंता का विषय है।
धारचूला से विधायक हरीश धामी ने नियम 58 में अपने विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र के लोगों को हर साल नुकसान उठाना पड़ता है। परिवारों को पुनर्वास दूसरी जगह करना पड़ता है।
संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि काली नदी से भारत-नेपाल सीमा तक तटबंध के कार्य की स्वीकृति और तटबंध निर्माण के बजट के लिए वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। 31 योजनाओं पर कार्य चल रहा है।
झबरेड़ा से विधायक विरेन्द्र कुमार ने कहा कि फ्यूचर पॉवर जेनरेशन पर सरकार सही तरीके से काम नहीं कर रही है। अल्प वेतन पर विभाग में कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनकी संख्या कम है। बेहतर सेवा के लिए विभाग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए।
विधायक ममता राकेश ने कहा कि बिजली गुल होने से जनता का काम बाधित होता है। बोर्ड परीक्षा में भी परीक्षार्थियों को सामना करना पड़ा। किसान, उद्योग से जुड़े लोग भी बिजली कटौती से उलझन में है।